सिंगोली के तहसीलदार का कारनामा - सरकारी जमीन का ही विधि-विरुद्ध कर दिया नामांतरण
सिंगोली(माधवीराजे)। हाल ही में सिंगोली के तहसीलदार का एक ऐसा कारनामा उजागर हुआ है जिसमें तहसीलदार ने सरकारी जमीन का ही विधि-विरुद्ध निजी व्यक्ति के हित में नामांतरण कर दिया।सिंगोली निवासी एक व्यक्ति ने उक्त मामले की शिकायत कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत करके न केवल नामांतरण निरस्त करने का निवेदन किया है बल्कि विधि-विरुद्ध किए गए नामांतरण मामले में तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही करने की माँग भी की है।प्राप्त जानकारी के मुताबिक मामला सिंगोली पटवारी हल्का नम्बर 5 सर्वे नम्बर 413/1/1/1/2 रकबा 0.005 हैक्टेयर भूमि का है जिसमें सम्बंधित व्यक्ति द्वारा एक ही नामांतरण प्रकरण को 3 अलग अलग तहसीलदारों के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसमें 2 तहसीलदारों ने अपने आदेश में सरकारी जमीन होने का हवाला देते हुए प्रकरण निरस्त कर दिया था जबकि इसी मामले को तीसरी बार प्रस्तुत किए जाने पर तत्कालीन तहसीलदार बी.के. मकवाना द्वारा नामांतरण स्वीकृत कर दिया गया।उक्त मामले में कलेक्टर नीमच के समक्ष प्रस्तुत शिकायत में बताया गया कि तत्कालीन तहसीलदार मकवाना द्वारा अ-6 के प्रकरणों में जमकर धांधली की गई क्योंकि न्यायालय तहसीलदार तहसील कार्यालय सिंगोली द्वारा दो-दो मिसल अनुसार जमीन को शासकीय बताकर निरस्त किए गए प्रकरणों में तहसीलदार मकवाना द्वारा अपनी सुविधानुसार नामांतरण स्वीकृत किया गया जो कि न्यायालयीन प्रक्रिया के भी विपरीत है क्योंकि मामले में पूर्व तहसीलदारों ने जब प्रकरण निरस्त कर दिया था तो नियमानुसार मामले में न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी जावद के समक्ष अपील प्रस्तुत की जानी चाहिए थी क्योंकि एक बार न्यायालयीन आदेश पारित किए जाने के बाद इसी प्रकरण की सुनवाई का अधिकार तहसीलदार को भी नहीं रह जाता।नामांतरण मामले में न्यायालय प्रकरण क्रमांक 0255/अ-6/2023-24 आदेश दिनांक 20/07/2024 प्रकरण को तत्कालीन तहसीलदार राजेश सोनी द्वारा मिसल अनुसार भूमि शासकीय होने से आवेदन पत्र निरस्त किया गया था और यही प्रकरण दूसरी बार न्यायालय प्रकरण क्रमांक 0452/अ-6/2023-24 व प्रकरण क्रमांक 453/अ-6/2023-24 में दर्ज होकर प्रचलित हुआ तो राजस्व रिकॉर्ड में नाम नहीं होने के बावजूद पंजीयन हो गया अर्थात मृतक के वारिसानों के जरिये अभिभाषक के माध्यम से पंजीयन करवा दिया जो आवेदन पत्र तत्कालीन तहसीलदार भगवानसिंह ठाकुर द्वारा अस्वीकार किया गया इस प्रकार यह नामांतरण प्रकरण दो बार निरस्त होने के बावजूद यही प्रकरण तीसरी बार प्रकरण क्रमांक 0770/अ-6/2024-25 में दर्ज होकर प्रचलित हुआ तो इसमें दिनांक 28/04/2025 को आदेश जारी कर तहसीलदार बी के मकवाना द्वारा अपनी मर्जी से नामांतरण स्वीकृत किया गया जो नियमों के प्रतिकूल है।शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि इस मामले में जारी आदेश की सत्य प्रतिलिपि न तो उपलब्ध कराई गई और न ही पहले पोर्टल पर अपलोड की गई और बाद में स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई देने वाला एक कोरा कागज अपलोड किया गया तथा बिना पोर्टल पर अपलोड किए ही राजस्व विभाग के खसरे में सम्बंधित व्यक्ति का नामांतरण अपलोड कर दिया गया।कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किए गए शिकायती पत्र में मामले की विधिवत जाँच कर विधि-विरुद्ध नामांतरण को निरस्त करते हुए नामांतरण स्वीकृत करने वाले तहसीलदार मकवाना के खिलाफ कार्यवाही करने की माँग की है।