तीसरे व चौथे दिन भी निकली शोभायात्राएँ
सिंगोली(निखिल रजनाती)।धर्मनगरी सिंगोली में 03 दिसम्बर से चल रहे 06 दिवसीय पंच कल्याणक महोत्सव का आयोजन बहुत ही हर्षोल्लास के साथ किया जा रहा है जिसमें प्रतिदिन अलग अलग धर्ममय झलकियां देखने को मिल रही है जिसके तहत आयोजन के तीसरे दिन 5 दिसम्बर रविवार को भगवान का जन्म कल्याणक तो चौथे दिन 6 दिसम्बर सोमवार को दीक्षा कल्याणक महोत्सव मनाया गया।निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 5 दिसंबर रविवार को प्रभु का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया जिसमें प्रातःवेला में पूज्य गुरुदेव श्री का मांगलिक पूर्वक मंगलगीत गाया एवं श्री शांतिजाप,जिनेन्द्र पूजन करते हुए शास्त्र स्वाध्याय किया गया जिसके पश्चात श्री जन्म कल्याणक महोत्सव पर इन्द्रसभा-राजसभा दरबार सजाया गया एवं श्री जन्माभिषेक के स्वर्ण-रजत कलशों की बोलियां लगायी गयी तथा प्रतिष्ठा मण्डप से नगर के मुख्य मार्गों से गुजरती हुई पांडुक शिला तक जन्म कल्याणक की शोभायात्रा निकाली गयी जहाँ सुमेरु पर्वत स्थित पांडुक शिला पर बाल तीर्थंकर श्री नेमीकुंवर का 1008 कलशों से जन्माभिषेक किया गया फिर पुनः शोभायात्रा पांडुक शिला से प्रतिष्ठा मंडप तक पहुँची।शोभायात्रा में हाथी-घोड़े,रथ,बेंड,डीजे एवं कई आकर्षण के बिंदु थे वहीं बड़ी संख्या में जैन समाज के अनुयायी उपस्थित रहे।प्रतिष्ठा मंडप में नित कार्यक्रम करते हुए बोलियां लगाते हुए पालना झुलाने का कार्यक्रम रखा गया जिसमें सर्वप्रथम माताश्री-पिताश्री द्वारा पालना झुलाया गया ततपश्चात बोलियों के परिवार द्वारा पधारे हुए सभी भाई-बहनों द्वारा झुलाया।महाराज समुद्र विजय पिताश्री एवं महारानी शिवादेवी,माताश्री की राजसभा में देश-विदेश के राजाओं द्वारा बाल तीर्थंकर श्रीनेमीकुंवर को जन्म महोत्सव के प्रसंग पर भेंट प्रदान की।इसी कड़ी में दिनांक 6 दिसंबर सोमवार को प्रातःसे ही यथापूर्वक शुरू हुआ कार्यक्रम जिसमें श्री दीक्षा कल्याणक महोत्सव पर सौधर्म इन्द्र-इंद्राणी इत्यादि द्वारा रत्न जड़ित वस्त्राभूषण स्वर्ग से लाकर राजकुमार नेमीकुमार के वस्त्राभूषण का परिवर्तन,इन्द्र सभा-राजसभा,राजकुमार नेमी की बारात एवं वैराग्य लौकांतिक देवों का आगमन,इन्द्रों द्वारा पालकी लाना,इन्द्रों और भूमिगोचर,विद्याधर राजाओं के बीच वैरागी नेमीकुमार की पालकी उठाने के सम्बंध में विवाद,तप कल्याणक शोभायात्रा के लिए बोलियां लगायी एवं सुबह 9 बजे से मंदिरजी से प्रतिष्ठा मंडप तक बारात के रूप में शोभायात्रा निकाली गयी तो दोपहर 1 बजे से प्रतिष्ठा मण्डप से मन्दिरजी तक श्री वनगमन शोभायात्रा पूरे हर्षोल्लास के साथ निकली।