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कृति और ज्ञानोदय विश्वविद्यालय का प्रेममूर्ति भरत विषय पर व्‍याख्‍यान सम्पन्न

नीमच।भरत प्रेम व अपनत्व के प्रत्यक्ष प्रतीक हैं। उन्‍होंने अपने बड़े भाई मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रति अपने प्रेम और अपनत्व के कारण राज सिंहासन स्वीकार न कर 14 वर्ष तक उनकी चरण पादुका सिंहासन पर रखकर राज्य संभाला और लोगों को राम राज्‍य की अनुभूति कराई। भाई-भाई में प्रेम व अपनत्व का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं है। यह बात रामकथा मर्मज्ञ मुकेश नायक ने कही। वे प्रेम मूर्ति भरत विषय पर आयोजित व्‍याख्‍यान में बोल रहे थे। शहर की अग्रणी साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था कृति और ज्ञानोदय विश्वविद्यालय नीमच ने संयुक्त रूप से पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागृह (टाउन हॉल) में प्रेममूर्ति भरत विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। रात करीब 9 बजे व्‍याख्‍यान की शुरुआत मां सरस्‍वती की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्‍जवलन के साथ हुई। अतिथियों ने देवी मां की मूर्ति पर पुष्प माला व पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। स्‍वागत भाषण कृति अध्‍यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ ने देते हुए संस्था कृति के कार्यों व व्‍याख्‍यान पर प्रकाश डाला। इसके उपरांत अतिथि परिचय ज्ञानोदय विश्‍वविद्यालय के संचालक अनिल चौरसिया ने दिया और रामकथा मर्मज्ञ मुकेश नायक के ज्ञानोदय परिवार से जुड़ाव की बात कही। इसके बाद प्रेम मूर्ति भरत विषय पर रामकथा मर्मज्ञ मुकेश नायक ने विस्तार से विचार व्यक्त किए और भगवान श्री राम और भरत के बीच आपसी स्नेह, प्रेम व भाईचारे का विस्‍तार से ब्‍योरा दिया और बताया कि भरत प्रेम व अपनत्व के प्रत्‍यक्ष प्रतीक हैं और उनकी भूमिका को किसी भी स्‍तर पर नकारा नहीं जा सकता। आज के इस दौर में भरत के जीवन से हर व्‍यक्ति को प्रेरणा लेना चाहिए और उनके आचरण का अनुसरणकरना चाहिए। इसके उपरांत ज्ञानोदय विश्‍वविद्यालय के कुलगुरू डॉ प्रशांत शर्मा, चौरसिया व कृति परिवार के सदस्‍यों ने रामकथा मर्मज्ञ मुकेश नायक का साल और स्‍मृति चिन्‍ह भेंटकर सम्‍मान किया। इस दौरान सचिव महेंद्र त्रिवेदी, किशोर जेवरिया, ओमप्रकाश चौधरी, प्रकाश भट्ट, रघुनंदन पाराशर, दर्शन सिंह गांधी, भरत जाजू, डॉ निर्मला उपाध्‍याय, ब्रजेश सक्‍सेना, नीरज पोरवाल, सीए दिलीप मित्‍तल, गोपाल पोरवाल, जगदीश लसोड़, कमलेश जायसवाल, राजेश जायसवाल, डॉ राजेंद्र जायसवाल, डॉ जीवन कौशिक, डॉ अक्षय राजपुरोहित, सत्‍येंद्र सक्‍सेना, आशा सांभर, शरद पाटीदार, एडवोकेट कृष्‍णा शर्मा, डॉ सुरेंद्र सिंह शक्‍तावत, पंकज श्रीवास्‍तव, विजयशंकर शर्मा, महेश पाटीदार, जिनेंद्र सुराना, वीणा सक्सेना आदि विशेष रूप से मौजूद रहे। संचालन सत्‍येंद्र सिंह राठौड़ ने किया। आभार ज्ञानोदय विश्‍वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ माधुरी चौरसिया ने माना।

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