कवि सम्मेलन सम्पन्न, देर रात तक जमा रंग
नीमच। श्री सकल दिगंबर जैन समाज नीमच शांति वर्धन पावन वर्ष योग समिति नीमच के संयुक्त तत्वाधान में श्री शांति सागर मंडपम दिगंबर जैन मांगलिक भवन नीमच में विभिन्न कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर सम्मेलन में लोगों को आनंद लेने पर मजबूर कर दिया किसी ने हास्य तो किसी ने वीर रस तो किसी ने श्रृंगार तो किसी ने गीत प्रस्तुत कर आचार्य शांति सागर जी महाराज को स्मरण किया।मंगलवार शांति सागर मंडल विधान किया गया जिसके धर्म लाभार्थी पुण्य आरती पुष्प कुमार ,कौशल्या, विनोद ,शशि, नूतन, पारुल अरिहंत ,दीपिका, प्रतीक, अरुणा, अनिल, अंजलि, प्रतीक्षा, अयन, भव्या, काव्या, नव्या ,रिदिशा जीवांश शाह परिवार नीमच, भीलवाड़ा, बसंत राकेश झांझरी, कोटा लाभचंद जम्मू कुमार सुशील कुमार अजमेरा परिवार थे।चारित्र चक्रवर्ती ज्ञान वृद्धि अक्षय निधि प्रतियोगिता दिगम्बर जैन मांगलीक भवन नीमच में आयोजित हुई। दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय विनायका मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कार्यक्रम में रात्रि 8 बजे कवि सम्मेलन, सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। कवि सम्मेलन में कवियत्री एकता भारती ने जय मां सरस्वती जय जय मां शारदे सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शंखनाद किया क्रांतिकारी कवि हास्य संचालक मेरठ के सौरभ जैन सुमन ने प्रेम नेमी और राजुल, राम और सीता ,राधा कृष्ण, पद्मावती का प्रेम आदर्श प्रेरणादाई है। रानी पद्मावती को दर्पण में देखने के बाद खिलजी ने युद्ध लड़ा था। गोरा बादल ने देश प्रेम सबके सामने रखा था। अपनी आन बान शान के लिए 16000 रानियां के साथ रानी पद्मावती ने आग में कूदकर जौहर कर लिया था अपनी शौर्य शील का बचाव किया और जौहर की अग्नि में कूद गई जो आज भी आदर्श उदाहरण है।आतंकवादियों पर करारे व्यंग बाण छोड़ें।प्रतापगढ़ के श्रृंगार हास्य कवि डॉक्टर प्रीति पांडे ने मां की सरहद में घूम लेती हूं इन हवाओं में झूम लेती हूं याद जब भी तुम्हारी आती है मैं तिरंगे को चूम लेती हूं।विदेश में प्रेम बदलता रहता है भारत में नारी का प्रेम सात जन्मों जन्मों का साथ रहता है।काव्य रचना प्रस्तुत कर शहीदों को नमन किया। कवित्री पांडे की कविता डुग्गू के पापा को सभी ने खूब पसंद किया।कार्यक्रम के शुभारंभ से पूर्व दिगंबर जैन समाज नीमच के पदाधिकारियों द्वारा पांचो कवियों का स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।दिल्ली के हास्य कवि डॉक्टर रसिक गुप्ता ने कविता एक आयुर्वेदिक औषधि है जितनी पुरानी है उतनी ही गुणवती कहलाएगी। जी की दवा नहीं जो एक्सपायर हो जाएगी। जैन संस्कृति विश्व में आदित्य है भक्तामर स्तोत्र भी काव्य है।श्रृंगार रस टीकमगढ़ की एकता भारती ने आज भले ही कम हो लेकिन इतना सबको याद रहे एक दुनिया नमन करेगी जैन धर्म की महिमा को.... रचना प्रस्तुत कर जैन धर्म की महिमा को स्मरण किया।गीत हास्य पटना के नीतीश राजपूत ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। जिसमें चिकित्सकों ने बारी बारी से ढूंढा लेकिन केजरीवाल जैसी बीमारी नहीं मिली माया जैसी कुंवारी नहीं मिलती। प्रस्तुत की जिस पर सब खूब हंसे,कवि सम्मेलन देर रात तक खूब जमा, दिगंबर जैन समाज के लोगों ने प्रत्येक कवि की कविता पर ताली बजाकर खूब आनंद लिया।