श्रावण में श्रद्धा और सौंदर्य का संगम: सुखानंद तीर्थ पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

वौइस् ऑफ़ मप्र

नीमच। अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरम्य गोद में स्थित सुखानंद तीर्थ रविवार को श्रद्धा, भक्ति और आस्था का केंद्र बन गया। श्रावण मास के पावन अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और शिव कृपा की अनुभूति की। प्रकृति की गोद में बसे इस पवित्र स्थल पर श्रद्धालुओं का ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि पूरा क्षेत्र ‘बोल बम’ के जयकारों से गूंज उठा।सुखानंद तीर्थ पर रविवार को 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति दर्ज की गई। हर उम्र के श्रद्धालु परिवार सहित इस आध्यात्मिक स्थल पर पहुंचे और भगवान शिव के दरबार में मत्था टेककर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। गुफा के भीतर स्थित शिवलिंग पर श्रद्धालुओं ने गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा व पुष्प अर्पित कर विधिपूर्वक पूजन-अभिषेक किया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश शासन के पूर्व सूक्ष्म, लघु एवं प्रौद्योगिकी मंत्री तथा जावद विधायक ओमप्रकाश सकलेचा भी तीर्थ पर पहुंचे। उन्होंने गुफा में स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक कर जिलेवासियों के कल्याण की कामना की और तीर्थ स्थल के प्राकृतिक संरक्षण व विकास को लेकर भी आवश्यक सुझाव दिए। श्रावण मास में सुखानंद तीर्थ पर भक्तों का विशेष आकर्षण देखने को मिलता है। विशेषकर रविवार के दिन शासकीय कर्मचारी, नौकरीपेशा वर्ग एवं युवा बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। वर्षा ऋतु में यहां की पहाड़ियों का सौंदर्य देखते ही बनता है। चारों ओर हरियाली, 70 फीट ऊंचाई से गिरता झरना और शीतल जलधाराएं पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।झरने के नीचे स्नान कर श्रद्धालु प्रकृति की ठंडी फुहारों का आनंद लेते हैं और परिजनों संग तस्वीरें लेकर इस पल को यादगार बनाते हैं। वहीं गुफा के भीतर गंगाजल से अभिषेक करने की परंपरा भी यहां की विशेषता है, जिसे भक्त अत्यंत श्रद्धा भाव से निभाते हैं।सोमवार के दिन कांवड़ यात्रा लेकर आने वाले भक्तजनों की भीड़ तीर्थ की महत्ता को और बढ़ा देती है।सुखानंद तीर्थ आज धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम बन चुका है। यह स्थल नीमच जिले का प्रमुख धार्मिक व पर्यटन केंद्र माना जाता है, जहां श्रावण मास में हर सप्ताह हजारों श्रद्धालु और पर्यटक उमड़ते हैं।शासन-प्रशासन और सामाजिक संगठनों के सहयोग से इस तीर्थ की व्यवस्था भी निरंतर सुधारी जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा और सुरक्षा दोनों उपलब्ध हो सके।

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