नीमच।हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार मनाया जाता है। इसे सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व राजस्थान और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मनाया जाता है जिसकी शुरुआत होली के दूसरे दिन से हो जाती है। इसके साथ ही यह पर्व पूरे सोलह दिनों तक मनाया जाता है जिसमे महिलाओं द्वारा गणगौर की जेल निकाली जाती है और 16 दिन तक मनमोहक व्यंजन और मिठाई का भोग लगाकर गणगौर के झाले दिए जाते हैं जो आज गणगौर तीज के साथ पूरे होते है। गणगौर तीज विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। इतना ही नहीं कुंवारी कन्याएं भी मनभावन पति पाने के लिए इस व्रत को रखती है।आज के दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। ओर शुद्ध मिट्टी से शिव जी और माता पार्वती की खूबसूरत सी मूर्ति बनाकर उन्हें अच्छे से दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाकर उन्हें गुनिया का भोग और मिस्ठान चढ़ाए जाते है और विधि विधान से महिलाएं सोलह सिंगार कर ईसब गणगौर की पूजा की जाती है