नीमच।मध्यप्रदेश इन दिनों तप रहा है। पारा 41 से 42 डिग्री के करीब जा पहुंचा है। लू भी कहर ढाने लगी है। हवाओं के कारण दिन के साथ रातें भी गर्म होने लगी हैं। वही मौसम विभाग के अनुसार अभी गर्मी के तेवर ऐसे ही रहेंगे, इसके बाद कुछ राहत मिलने की सम्भावना है ज्यादातर लोग सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग को ही गर्मी के लिए जिम्मेदार मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। राजस्थान के रेतीलों इलाकों से आने वाली हवा मध्यप्रदेश में गर्मी बढ़ाती है। मूलत: ये हवाएं पाकिस्तान की तरफ से आती हैं।साथ ही मानसून का मतलब सिर्फ बारिश से नहीं होता। विशेषज्ञ कहते हैं कि हवाओं की दिशा या रुख का परिवर्तन ही मानसून होता है। इसमें गर्म हवाएं भी शामिल होती हैं।मार्च से लेकर जून तक सूर्य धरती के करीब आते जाता है। सूरज जैसे-जैसे धरती के करीब आता है, उससे निकलने वाले रेडिएशन को भी धरती बढ़ाती है। यानी धरती पर गर्मी अधिक होती है शहरीकरण से भी गर्मी ज्यादा महसूस होती है। इन दीनो मौसम में गर्मी का तापमान बढ़ने के साथ साथ मौसमी बीमारियां भी बढ़ती जा रही है जिसको लेकर जिला चिकित्सालय में भी मरीजो की संख्या बढ़ रही है। जिसमे सर्दी खासी ओर टेंपरेचर बढ़ने से बुखार सहीत अन्य मरीज शामिल है सिविल सर्जन ए के मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि गर्मी की लहर कमजोर लोगों के लिए स्वास्थ्य की चिंता का कारण बन सकती है। खासकर शिशु, बुजुर्ग और पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए। उन लोगों में गर्मी की बीमारी के लक्षणों की आशंका बढ़ जाती है, जो या तो लंबे समय तक धूप में रहते हैं या भारी काम करते हैं।लू के दिनों में गर्मी की जोखिम से बचें।निर्जलीकरण से बचें। पर्याप्त पानी पिएं। प्यास नहीं रहने पर भी पानी पिएं। गर्मी के संपर्क में आने से बचें। हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें। शरीर को ढकें कपड़े, टोपी या छतरी आदि का उपयोग कर सिर या खुद को ढकें। हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस, घर का बना पेय जैसे लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू पानी, छाछ आदि का प्रयोग करें।