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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन सर्वोपरि है 

सिंगोली(निखिल रजनाती)।विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई क्रमांक एक श्री वीरेंद्रकुमार सकलेचा शासकीय महाविद्यालय सिंगोली के सात दिवसीय आवासीय शिविर के पांचवे दिन 26 मार्च मंगलवार को कार्यक्रम अधिकारी रामबाबू शर्मा के मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों ने ग्राम धनगाँव में स्वच्छता जागरूकता से संबंधित रैली निकालकर संबंधित नारे लगाते हुए ग्रामीणों को प्रेरित किया तत्पश्चात स्वयंसेवकों ने पंचायत के खेल मैदान के आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाकर श्रमदान किया वहीं दोपहर को बौद्धिक सत्र में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तहसील समन्वयक सुनील पालीवाल,समाजसेवी इंद्रेश  सोनी,प्रभारी प्राचार्य आरसी वर्मा, प्राध्यापक परमलाल अहिरवार, प्राध्यापक भरतलाल चौहान एवं क्रीड़ा अधिकारी हरिप्रकाश मिश्रा ने मां सरस्वती एवं प्रेरणा पुरुष स्वामी विवेकानंदजी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप जलाकर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया,इसके पश्चात स्वयंसेवकों के द्वारा सरस्वती वंदना की गई।सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य आरसी वर्मा ने की।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता सुनील पालीवाल रहे।अतिथि परिचय एवं स्वागत उद्बोधन स्वयंसेवक पायल खटीक और अनीशा के द्वारा दिया गया।मुख्य वक्ता ने अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन आवश्यक है क्योंकि हर परिस्थिति से लड़ने के लिए हमें धैर्यवान और शिक्षित होना जरूरी है।आपने गायत्री परिवार प्रमुख पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के जीवन चरित्र को अपनाने के लिए प्रेरित किया।गुरुदेव ने जीवन भर समाज सेवा का कार्य करते हुए गायत्री मंत्र को जन-जन के लिए सुलभ बनाया।वैज्ञानिकों ने अपने विभिन्न शोधों में ज्ञात किया है कि प्रतिदिन गायत्री मंत्र का स्मरण करने से बुद्धि तीव्र होती है और हम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।इंद्रेश सोनी ने विद्यार्थियों को जल प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया।इसके पश्चात आपने विद्यार्थियों से एक सार्थक चर्चा भी की और विद्यार्थियों की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया।आपने बताया कि प्रत्येक स्वयंसेवक का यह कर्तव्य है कि वह अधिक से अधिक लोगों को जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करें।अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर आरसी वर्मा ने राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में विद्यार्थियों के अनुभवों को सुना और अपने अनुभवों को विद्यार्थियों के साथ साझा किया।अंत में डॉ हरिप्रकाश मिश्रा ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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