नीमच। शबे -ए कद्र की पवित्र रात में मुसलमान नमाज अदा करते हैं कब्रिस्तान में जाकर अपने मरहूमों को फूल इत्र पेश कर उनके लिए दुआ करेंगे और दान-पुण्य भी करते हैं। इस्लाम मजहब में आज की रात को बड़ी मुकद्दस भरीं रात इसलिए माना गया है। क्योंकि आज़ की रात शबे- कद्र को इबादतों से भरीं रात माना गया हैं।रमजान का पवित्र महीना चल रहा है जैसे ही रमजान का महीना पूरा होगा वैसे ही पूरी दुनिया में ईदुल फित्र मुबारक का त्योहार मनाया जाएगा। रमजान के महीने में एक ऐसी रात भी होती है जिसे खुदा ने हजारों रातों से भी ज्यादा बेहतरीन बनाया है। इस रात को ही शब-ए-कद्र की रात कहते हैं।शब-ए कद्र की यह रात रमजान महीने की 21वीं ,23 वीं, 25 वीं या 27 वीं रात में से कोई एक रात होती है।शबे-ए कद्र की रात को ही अल्लाह ने कुरआन पाक को नाजिल किया था। इस वजह से यह रात एक खास इबादत वाली रात मानी जाती है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है की शब-ए कद्र की रात कौन सी होती है लेकिन इतना जरूर बताया गया है। की इस रात को अल्लाह से की गई दुआ कबूल होती है। शेख सैय्यद पठान कमेटी के सदर सलीम खान ने बताया की इस पवित्र माह में इंसानियत के लिए दुआ मांगी जाती है। बिना किसी भेदभाव के मानव कल्याण के लिए सभी का भला हो ऐसा मकसद लेकर व्यक्ति एतिकाफ मैं बैठा जाता है। इस रात को अल्लाह के बंदों पर उनकी रहमत बरसती है। शब-ए कद्र वाली रातों को जितना हो सके उतनी ज्यादा इबादत करनी चाहिए। रमजान के महीने की इन रातों के महत्व को देखते हुए बहुत से लोग शब-ए कद्र की रात से पहले ही एतिकाफ यानि की एकांतवास में चले जाते हैं। वो बिना किसी विघ्न के अपनी इबादत पूरी कर सकें ये लोग ईद का चांद निकलने के बाद उसे देखकर ही बाहर निकलते हैं। रमजान के आखिरी दस दिनों में लोग एतिकाफ करते हैं।मौजूदा समय में रमजान के महीने का आखिरी अशरा यानि कि पवित्र माह के आखिरी दस दिन चल रहा है।इस्लाम धर्म में रमजान के इन आखिरी दिनों को खास महत्व दिया गया है। आखिरी अशरे मे एतिकाफ में बैठकर सभी लोग एक किनारा पकड़ लेते हैं और इसी में कई नियम एक साथ बैठते हैं। यहां बैठने के बाद इन लोगों को कुछ जरूरी बातों को छोड़कर उस जगह से अलग जाने की इजाजत नहीं होती है। अगर मस्जिद में कोई एतिकाफ में बैठा है तो वह व्यक्ति मस्जिद परिसर से बाहर नहीं जा सकता है। आपको बता दें कि एतिकाफ में बैठकर मानवता के लिए दुआएं मांगी जाती है. एतिकाफ में लोग समाज के लिए बरकत, उनकी तरक्की और लोगों को रोगमुक्त रखने खुदा से दुआएं मांगते हैं ।