अवैध रूप से हो रहे हैं पक्के निर्माण
राजस्व निरीक्षक की भूमिका संदिग्ध
सिंगोली।कुछ दिनों पहले कस्बे से लगी एक जमीन की कीमत 2 करोड़ रुपये बताते हुए अतिक्रमण हटाकर भले ही प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपा ली हो लेकिन सच्चाई यह है कि सिंगोली कस्बे की सैंकड़ों करोड़ रुपये की सरकारी जमीनों पर अब भी भू माफिया का कब्जा है जिनमें इन दिनों राजस्व विभाग की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की बेशकीमती सरकारी जमीनों पर खुलेआम अवैध रूप से पक्के निर्माण किए जा रहे हैं जिनकी शिकायत करने के बाद भी शासन हित व सार्वजनिक हित में कार्यवाही नहीं कर अतिक्रमणकर्ता को सरंक्षण दिए जाने से सिंगोली वृत्त के राजस्व निरीक्षक सुरेश निर्वाण की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राजस्व विभाग के वरिष्ठ एवं उच्च अधिकारियों द्वारा शिकायतों के सम्बंध में पड़ताल करने पर राजस्व निरीक्षक द्वारा वास्तविक स्थिति और तथ्यों पर पर्दा डालते हुए मामलों में जाँचों को तथ्यों से भटकाकर असत्य व भ्रामक जानकारी प्रस्तुत की जा रही है जबकि सिंगोली कस्बे में इन दिनों चारों दिशाओं में राजस्व विभाग की खुली पड़ी सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से पक्का निर्माण कराए जाने की प्रतिस्पर्धा चल रही है।सिंगोली-तिलस्वां सड़क मार्ग के किनारे स्थित की सरकारी जमीन हो या कोटा सड़क मार्ग की ओर माधवविलास की शासकीय भूमि हो अथवा बेगूँ सड़क मार्ग के तरफ की जमीनें हो।एक अनुमान के मुताबिक केवल 10 सर्वे नम्बरों में स्थित सरकारी जमीन ही 100 करोड़ रुपये की बताई जा रही है जिसमें दो सर्वे नम्बरों में से एक की सरकारी जमीनों पर तो पक्का व्यावसायिक निर्माण अवैध रूप से स्थानीय राजस्व विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों की देखरेख में धड़ल्ले से हो चुका है जबकि दूसरी जमीन पर वर्तमान में अवैध निर्माण जारी है जिसमें दोनों ही प्रकरणों में लाखों रुपए के लेनदेन की चर्चा का बाजार गर्म है।करोड़ों रुपए की सरकारी जमीनों पर अवैध पक्के निर्माण हेतु सिंगोली तहसील-राजस्व विभाग के चर्चित कर्मियों द्वारा कस्बे के अतिक्रमणकर्ताओं से लाखों रुपए ऐंठने की वजह के चलते ही भू माफिया को संरक्षण मिल रहा है।वहीं इस सम्बंध में राजस्व निरीक्षक अवैध निर्माणकर्ता की खुली पैरवी करने एवं मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध सीमांकन करने से भी बाज नहीं आ रहा है।जानकर सूत्रों का दावा तो यह भी है कि अतिक्रमणकर्ताओं को नाजायज लाभ पहुँचाने के लिए पटवारियों की मिलीभगत से राजस्व-रिकॉर्ड को तोड़-मरोड़ कर अपनी सुविधानुसार प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि पुराने मूल भू-अभिलेखों और राजस्व-निरीक्षक के नक्शों में कहीं भी ऐसे भूमि-स्वामी दर्ज नहीं है जिन्हें राजस्वकर्मी भू-स्वामी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।सार्वजनिक और शासनहित में कलेक्टर मयंक अग्रवाल द्वारा मामले की गम्भीरता समझते हुए सिंगोली कस्बे का राजस्व रिकॉर्ड जब्त कर निष्पक्ष जाँच कराई जानी चाहिए जिससे सौ करोड़ से ज्यादा की सरकारी जमीनें सुरक्षित रह सकें और अवैध रूप से किए जा रहे पक्के निर्माणों पर रोक लगे।