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सिंगोली क्षैत्र में चल रही है सरकारी जमीनों को हड़पने की प्रतिस्पर्धा 

सिंगोली(माधवीराजे)।जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर ऐसे लोग कैसे निष्पक्ष और नियमानुसार अपने शासकीय दायित्वों का निर्वाह करके पीड़ितों को न्याय दिलवाएँगे और कोई कैसे अपने विभाग के प्रति निष्ठावान रहकर ईमानदारी से आचरण करेगा जो कि सरकारी नौकरी करने वाले एक लोकसेवक के लिए बहुत जरूरी होती है विभागीय निष्ठा जिसका पूरी तरह से अभाव दिखाई दे रहा है और इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है गरीब जनता को एवं न्याय प्राप्त करने के लिए दर दर भटक रहे पीड़ितों को क्योंकि ऐसा ही कुछ हो रहा है इन दिनों नीमच जिले के जावद उपखण्ड के अंतर्गत आने वाले सिंगोली क्षैत्र के राजस्व महकमे में राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से यहाँ सरकारी जमीनों को हड़पने की प्रतिस्पर्धा चल रही है मतलब जिन कर्मचारियों के कन्धों पर सरकारी जमीनों की रक्षा करने की नैतिक जिम्मेदारी है वे ही आबादी क्षैत्र के भूखण्डों एवं कृषि योग्य सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करवाने में न केवल मूकदर्शक बन रहे हैं बल्कि शासकीय रिकॉर्ड में शान से अतिक्रमण भी दर्ज कर रहे हैं।जानकार सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग की जमीनों पर से अतिक्रमण के रूप में किए गए अवैध कब्जे हटाने के बजाय उन्हें संरक्षण राजस्वकर्मी प्रदान कर रहे हैं। इस क्षैत्र में पटवारी हल्का नम्बर 4 में तो जैसे अतिक्रमण की बाढ़ ही आ गई है क्योंकि इस क्षेत्र में कई रसूखदारों और धन्ना सेठों के सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं।राजस्वकर्मी जो सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने के बजाय राजस्व अभिलेख में अतिक्रमण दर्ज करने के पैसे तक वसूल कर रहे हैं जिसके चलते जो ज्यादा पैसे दे देते हैं सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण होने के बावजूद मान लिया जाता है कि कब्जा उसी का वैध रहेगा जबकि ऐसी स्थिति में यदि एक से ज्यादा दावेदार होते हैं तो फिर शुरू हो जाते हैं जमीनी विवाद जो कई बार लड़ाई झगड़े तक पहुँच जाते हैं बावजूद इसके भ्रष्टाचार के आकण्ठ में डूबे सरकारी कारिंदों को इस तरह से पनप रहे जमीनी विवादों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।स्थानीय राजस्व महकमे की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के चलते अब राजस्व विभाग के नाम की मध्यप्रदेश शासन की जमीनों पर अवैध रूप से कब्जे करने में भी जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई दे रही है।सीधा सा आशय यह है कि सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण करने में पैसा,पहुँच,सत्ता और दबंगई का इन दिनों जमकर उपयोग किया जा रहा है वहीं इस विभाग के सरकारी कारिंदों को तो अपनी नौकरी तक की परवाह नहीं रही है क्योंकि ऐसे भ्रष्टकर्मी 2-5 सालों में ही आर्थिक रूप से बहुत सक्षम होकर लग्जरी कारें मेंटेन करके लाखों के वारे न्यारे कर गए हैं और अब बिना किसी डर के दस्तावेजों की कूटरचना करने में भी किसी तरह का संकोच नहीं कर रहे हैं जिससे भू माफिया के हौंसले बुलंद हो रहे हैं जबकि इन दिनों सिंगोली क्षैत्र में जितने भी जमीनों से सम्बन्धित विवाद उभर रहे हैं इन सबके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है एक तथाकथित मशहूर पटवारी को जिनके कारनामों के चलते पटवारी हल्का नं 05 के भू सर्वे क्र.70,189,139 सहित सर्वे क्र. 308,297,193,190,439,435,465,446/1 और 192 ये तो मात्र गिने चुने सर्वे नम्बर हैं जिनकी लगभग 100 बीघा से ज्यादा सरकारी जमीन मौके से गायब होकर अवैध रूप से लोगों के कब्जे में चली गई जबकि इस अवैध अतिक्रमण में फूंसरियाँ राजस्व क्षेत्र की एक इन्च जमीन भी सरकारी जमीन से अतिक्रमण मुक्त नहीं है।मामले में जिला कलेक्टर को संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए जाने चाहिए

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