नीमच।मनासा तहसील के ग्राम पड़दा में 75 वर्षीय निर्धन बुजुर्ग अनुसूचित जाति किसान कचरूलाल खटीक ने कलेक्टर जनसुनवाई में अपनी पीड़ा रखते हुए गांव के ही महेश पिता नाथुलाल मेघवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित ने कहा कि विपक्षी महेश, उनकी कृषि भूमि पर जबरन कब्जा जमाने की नीयत से लगातार उत्पीड़न कर रहा है, झूठी शिकायतें कर प्रशासन को गुमराह करता है और अधिकारियों पर दबाव बनाता है।कचरूलाल ने जनसुनवाई में प्रस्तुत ज्ञापन में उल्लेख किया कि उनकी तथा उनकी पत्नी मांगीबाई के नाम से मौजा पड़दा में क्रमशः सर्वे नंबर 86/1/4 रकबा 0.3640 हेक्टेयर एवं 86/1/7 रकबा 0.4450 हेक्टेयर कृषि भूमि है। ये भूमि शासन से लगभग 30-35 वर्ष पूर्व पट्टे पर मिली थी और तभी से वे स्वयं इस पर खेती कर जीवनयापन कर रहे हैं। प्रार्थी की भूमि उत्तर दिशा में मातारुंडी जाने वाले मार्ग से लगी हुई है, जिसके बाद विपक्षी की भूमि आती है।पीड़ित ने आरोप लगाया कि विपक्षी महेश मेघवाल अकारण ईर्ष्या रखता है और बार-बार दबाव बनाता है कि भूमि उसे अधबटाई पर दी जाए। जब बुजुर्ग किसान ने उसकी बात नहीं मानी तो वह आए दिन झगड़ा करता है। दिनांक 22 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे जब कचरूलाल अपनी कृषि भूमि पर मौजूद थे, तब विपक्षी महेश ने अचानक आकर मां-बहन की अश्लील गालियां दीं और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए धमकी दी कि “तुम्हारा खेती करने से कोई वास्ता नहीं, मैं तुमसे यह जमीन छुड़वा दूंगा।” इस घटना से वृद्ध किसान भयभीत है।पीड़ित की पोती दुर्गाबाई ने भी कलेक्टर को अवगत कराया कि विपक्षी महेश मेघवाल बार-बार झूठी शिकायतें करता है, यहां तक कि अधिकारियों के खिलाफ भी गलत आरोप लगाकर उन्हें भ्रमित करता है। उसका एकमात्र उद्देश्य कचरूलाल की जमीन पर कब्जा करना है और एससी-एसटी कानून का दुरुपयोग कर दबाव बनाने की कोशिश करता है।बुजुर्ग किसान कचरूलाल ने प्रशासन से निवेदन किया कि उसकी वृद्धावस्था और निर्धनता का फायदा उठाकर की जा रही प्रताड़ना पर रोक लगाई जाए और विपक्षी महेश मेघवाल के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। बताया जा रहा है कि उपरोक्त शिकायतों के बाद मनासा तहसीलदार द्वारा पीड़ित की जमीन का बताकन भी किया गया है और कुछ हिस्से पर अतिक्रमण पाया गया था उसे पीढित ने खुद ही हटा दिया है। और इस मामले में सीमांकन के आदेश भी हो चुके हैं।