नीमच। जिले के किसानों की आवाज़ मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय गेट तक गूंज उठी। अतिवृष्टि, पीला मोज़ेक और वायरस जनित रोगों से सोयाबीन की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है। इस भीषण नुकसान के बाद किसानों ने भारी हुंकार भरते हुए कलेक्टर कार्यालय गेट पर सांकेतिक जाम लगाया, रैली निकाली और जोरदार प्रदर्शन किया। किसानों का कहना था कि अब वक्त आ गया है जब सरकार को किसानों के पक्ष में ठोस निर्णय लेकर तात्कालिक मुआवजा देना ही होगा। प्रदर्शन के बाद प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर से मुलाकात की, जिसमें देवीलाल पाटीदार, रामसिंह जाट, चम्पालाल गुर्जर, अशोक भारद्वाज, मोहन सिंह जाट, आबिद बोहरा, प्रवीण शर्मा, नरेश पाटीदार और रणजीत सिंह राजपूत शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर को किसानों की समस्याओं से अवगत कराते हुए तत्काल राहत दिलाने की मांग रखी। इस अवसर पर चम्पालाल गुर्जर ने बताया कि कलेक्टर ने भी यह स्वीकार किया है कि अब तक किसानों के खेतों का सर्वे नहीं हुआ है। उन्होंने आश्वस्त किया कि शीघ्र ही कृषि एवं राजस्व विभाग के माध्यम से सर्वे करवाया जाएगा और नुकसानी का आकलन कर प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि दीलवाई जाएगी। इसके साथ ही किसानों ने कलेक्टर प्रतिनिधि एसडीएम संजीव साहू को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया कि नीमच जिले में सोयाबीन की फसल 100 प्रतिशत नष्ट हो चुकी है।अतिवृष्टि, पीला मोजक और वायरस जनित रोगों से हुई 100 प्रतिशत नुकसानी का बिना किसी विलंब के आकलन मानकर शीघ्र मुआवजा दिया जाए।कृषि एवं राजस्व विभाग को तत्काल निर्देशित कर मुआवजा वितरण प्रक्रिया शुरू की जाए। प्रति हेक्टेयर 54,000 रुपये की लागत के आधार पर किसानों को उतना ही मुआवजा दिलाया जाए ताकि किसान आगामी फसल बोने के योग्य हो सकें।बीमा कंपनी द्वारा हर दो वर्ष में राशि का भुगतान करने की नीति बदली जाए और इस बार हुए 100 प्रतिशत नुकसान के चलते बीमा राशि इसी वित्तीय वर्ष में दिलवाई जाए।जिले की शेष बची हुई फसलें भी हालिया बारिश और जलभराव से चौपट हो चुकी है, जिसका उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र राहत और मुआवजा राशि किसानों तक नहीं पहुंची तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। किसानों का कहना है कि यह केवल खेती का नहीं बल्कि उनके परिवारों के अस्तित्व का सवाल है। इस प्रकार कलेक्टर कार्यालय गेट पर किसानों की हुंकार, सांकेतिक जाम और रैली के रूप में जो आंदोलन दिखा, उसने प्रशासन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन की तात्कालिक कार्यवाही कितनी तेजी से किसानों तक राहत पहुंचाती है।