मोरवन डेम बचाओ आंदोलन हुआ तेज, किसानों ने किया चक्का जाम, कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सौंपा ज्ञापन
							
							
								
									  November 3, 2025, 4:50 pm
								 
							 
							
							
								
										
															 
    
							
								
नीमच।जिले की जावद तहसील अंतर्गत मोरवन डेम के समीप प्रस्तावित फैक्ट्री के निर्माण को लेकर किसानों का “मोरवन डेम बचाओ आंदोलन” और तेज हो गया है। आंदोलन को 25 दिन हो चुके हैं। सोमवार को किसान नेता राजकुमार अहीर और पूरण अहीर के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, जो मोरवन से प्रारंभ होकर नीमच कलेक्टर कार्यालय तक पहुंचने वाली थी।रैली को बीच रास्ते में कई स्थानों पर प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया, लेकिन किसानों का विरोध बढ़ता गया। आखिरकार भरबड़िया चौराहा पर प्रशासन ने ट्रैक्टर रैली को रोक दिया, जिससे किसान आक्रोशित हो गए और उन्होंने वहां चक्का जाम कर दिया। करीब डेढ़ घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही। बाद में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा समझाइश के बाद किसानों ने सहमति जताई कि रैली को कलेक्टर कार्यालय से 2 किलोमीटर पहले रोक दिया जाए। इसके बाद सभी किसान पैदल ही रैली के रूप में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और अपनी मांगों का ज्ञापन एडीएम को सौंपा। किसानों ने ज्ञापन में कहा कि मोरवन डेम के समीप प्रस्तावित फैक्ट्री से डेम का पानी दूषित होगा, जिससे खेती और पेयजल दोनों पर गंभीर असर पड़ेगा। किसानों का कहना है कि फैक्ट्री लगने से डेम का जलस्तर और गुणवत्ता प्रभावित होगी, जिससे जावद और मोरवन क्षेत्र में पानी का संकट उत्पन्न हो सकता है।ज्ञापन में बताया गया कि ग्राम मोरवन की 126 हेक्टेयर चरनोई भूमि में से 50 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक निवेश निगम को 30 साल की लीज पर दी गई है, जो कि भूराजस्व संहिता की धारा 237 के प्रावधानों का उल्लंघन है। किसानों ने आरोप लगाया कि ग्राम सभा को सूचित किए बिना और फर्जी पंचनामों के आधार पर भूमि हस्तांतरित की गई किसानों ने ज्ञापन में बारह प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से फैक्ट्री निर्माण पर रोक की मांग की। इनमें मुख्य रूप से भूमि हस्तांतरण में धारा 237 का उल्लंघन,ग्रामवासियों को सूचना दिए बिना फर्जी पंचनामा तैयार किया जाना।चरनोई भूमि का औद्योगिक प्रयोजन हेतु हस्तांतरण अनुचित।मृत व्यक्तियों के नाम से हस्ताक्षर दिखाना और जाली दस्तावेजों का उपयोग।99 वर्ष की लीज की स्वीकृति के बिना ही औद्योगिक कब्जा।शासन के पूर्व आदेशों का उल्लंघन करते हुए व्यावसायिक गतिविधि प्रारंभ करना।ग्रामवासियों से भूमि छीनी जाकर बाहरी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाना।डेम के पानी से फैक्ट्री को आपूर्ति किए जाने से सिंचाई प्रभावित होना।सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद सार्वजनिक भूमि का आवंटन।विद्यालय और आबादी क्षेत्र से 1000 मीटर के दायरे में उद्योग स्थापना पर रोक का उल्लंघन।समीप स्थित गौशाला की 800 गायों के चरने की भूमि पर संकट उत्पन्न होना जैसी मांगे शामिल है।किसानों ने चेतावनी दी कि यदि प्रस्तावित फैक्ट्री निर्माण की स्वीकृति निरस्त नहीं की गई, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। किसानों ने कहा कि वे पहले से ही कठिन परिस्थितियों में खेती कर रहे हैं और अब किसी भी प्रकार का प्रदूषण या डेम के पानी में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।“मोरवन डेम बचाओ आंदोलन” के तहत किसानों ने एक स्वर में कहा कि यह केवल भूमि या जल का नहीं, बल्कि उनकी रोजी-रोटी और अस्तित्व की लड़ाई है।