नीमच। वेद दुनिया के प्रथम धर्म ग्रंथ हैं ।इसके आधार पर ही दुनिया के अन्य ग्रंथ,संप्रदाय और मजहबों की उत्पत्ति हुई । जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने- अपने तरीके से भिन्न- भिन्न भाषा में प्रचारित किया। वेद ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित है । सामान्य भाषा में वेद का अर्थ ज्ञान होता है और वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है । यह बात श्रीकृष्ण योगपीठ सेवा मंडल मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रभारी श्री मदनगिरि महाराज ने कही।दरअसल भगवान श्री कृष्ण के ज्ञान, संस्कार और धर्म के प्रचार प्रसार को लेकर को लेकर एक बैठक का आयोजन उपनगर बघाना में स्तिथ श्री राधा कृष्ण मंदिर में हुआ।इस दौरान उन्होंने हिंदू धर्म के अस्तित्व के लिए वेदों के प्रचार- प्रसार को जरूरी बताया।उन्होंने कहा कि इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म, ईश्वर, ब्रह्मांड,ज्योतिष,गणित, रसायन,औषधि,प्रकृति, खगोल,भूगोल,धार्मिक, नियम इतिहास,रीति रिवाज समेत सभी विषयों से संबंधित ज्ञान है।एक ग्रंथ के अनुसार ब्रह्माजी के मुख से चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है।वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं । वेद सर्व शक्तिमान ईश्वर की वाणी है। यह परमेश्वर की प्रेरणा का फल है। दुनिया में एकमात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा है,जो शाश्वत और सनातन है।दुनिया के अनेक धर्म और सभ्यताएं कालक्रम से विनष्ट हो गए,परन्तु भारतीय संस्कृति और सनातन हिन्दू धर्म हजारों वर्षों से अनेक आक्रमणों का सहता हुआ भी यथावत है। इस सनातन धर्म का प्रचार प्रसार ही संतों का एकमात्र लक्ष्य है ।