सन्त निलय पर श्री बगड़ा ने किया ध्वजारोहण
सिंगोली(निखिल रजनाती)।नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया।मंगलवार को प्रातःकाल 8 बजे श्री विद्यासागर सन्त निलय में चांदमल बगड़ा द्वारा ध्वजारोहण (राष्ट्रगान) किया गया इसके बाद मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमने भौगोलिक स्वतन्त्रता को तो प्राप्त कर लिया है अब गुलामी वाली विचार धारा,संस्कृति और शिक्षा से स्वतन्त्र होने की आवश्यकता है।स्वतन्त्रता का अर्थ स्वच्छन्द प्रवृति नहीं है।अनुशासन में रहकर स्वयं पर शासन करने का नाम ही स्वतंत्रता है।स्वतंत्रता संग्राम में सभी ने अपना कुछ न कुछ अर्पण किया।जैन दर्शन ने अपने मूल सिद्धान्त अहिंसा को ही देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया।अहिंसा के बल पर ही देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों देश को स्वतन्त्र करने का कार्य किया।देश को स्वतंत्रता कराना एक व्यक्ति के बस की बात नहीं होती है उसके लिए सभी एकजुट होकर पुरुषार्थ करना होगा।जिस प्रकार देश 250 वर्षों की अंग्रेजों की गुलामी से छूटने के लिए सबके मन में ललक थी,उसी प्रकार हमें अपनी आत्मा को कर्मों से स्वतंत्र कराने के लिए ललक जगाना होगी।आत्म तत्व की प्राप्ति के लिए भी एक अन्तरंग में अग्नि प्रज्वलित करना होगी।देश का ध्वज भी अध्यात्म का संदेश देता है।केसरिया रंग त्याग का प्रतीक,सफेद रंग शान्ति का प्रतीक,हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।आत्मा से राग-द्वेष को त्याग कर जीवन में शान्ति की प्राप्ति कर आत्मसमृद्धि की प्राप्त कर लो।इस दौरान मुनिश्री दर्शित सागर महाराज ने कहा कि जैसे एक पक्षी पिंजड़े से मुक्त होने के लिए तड़फता है,उसी प्रकार भारतवासी भी अंग्रेजों की 250 वर्ष की गुलामी से मुक्त होने के लिए तड़फ रहे थे।आज दिन ही लम्बे संघर्ष और कई देशभक्तों के बलिदान से देश स्वतन्त्र हुआ था।जैसे लम्बे संघर्ष से देश को आजादी मिली मुझे भी कर्मों से आजादी मिल जाए।कर्मों से आजादी ही दुनिया में सबसे बडी जीत है।इस जीत को प्राप्त कर अन्य किसी पर विजय प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।अन्कित हरसोला मित्र मण्डल द्वारा सभी को प्रभावना बाटी गई।इस अवसर सिंगोली के साथ ही आरोली,झांतला,धनगाँव,बोराव, चांदजी की खेड़ी सहित अन्य जगहों के समाजजन उपस्थित थे।