नीमच। संयुक्त विभाग पेंशनर संघ के सदस्य शनिवार को मीडिया से रूबरू हुवे जहां उन्होंने संघ द्वारा किए गए कार्यों के विवरण से अवगत कराते हुवे शासन से उनकी मांगें पूर्ण करने की मांग की,संयुक्त विभाग पेंशनर संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष बालचन्द वर्मा ने बताया कि 1 जनवरी 2024 के पूर्व म.प्र.में अनेको पेंशनर संघ कार्यरत थे। जिसमें एक संघ पर चार अति महत्वाकांक्षी व्यक्तियों ने दावेदारी कर रखी थी। जब उस संघ की सरकार द्वारा मान्यता समाप्त कर दी गई तब चार व्यक्ति बेरोजगार हो गए थे। इनकी आपसी लड़ाई का लाभ प्रदेश सरकार उठाती आ रही थी। साथ ही प्रदेश में कार्यरत कमजोर एवं सरकार की गोद में बैठे पेंशनर संघों के कारण भी प्रदेश के पेंशनरों को आर्थिक हानि होती आ रही थी । उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए "संयुक्त विभाग पेंशनर संघ मुख्यालय नीमच" को मुर्त रूप दिया गया। जिसका पंजीयन 3 जनवरी 2024 को विधिवत प्राप्त हुआ। पंजीयन प्राप्त होते ही प्रदेश के मुख्य सचिव, सभी संभागायुक्त एवं सभी जिला कलेक्टर को संघ की लिखित सूचना दी गई। इसके बाद संयुक्त विभाग पेंशनर संघ नें प्रथम पत्र दिनांक 9 जनवरी 2024 को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम जिलाधीश नीमच के माध्यम से प्रेषित किया गया।जिसमें प्रदेश के पेंशनरों के हित में आठ बिन्दु समाहित किए गए। जिसका मुख्य प्रथम बिन्दु म.प्र. पुनर्गठन आयोग 2000 की धारा 49 (6) को तुरन्त प्रभाव से विलोपित करने हेतु लिखा गया ।अन्य प्रमुख बिन्दुओं में पेंशनरों की बिमारी का सम्पूर्ण चिकित्सा व्यय प्रदेश सरकार वहन करें।तथा प्रदेश के प्रत्येक पेंशनर एवं परिवार पेंशनर को आयुष्मान कार्ड की तरह कार्ड जारी करें।इसी क्रम में चौथे समयमान वेतनमान में 1 जुलाई 2023 की बाध्यता समाप्त की जावे । छठवें एवं सातवें वेतनमान के 32 एवं 27 माह के बकाया राशि का भुगतान के आदेश जारी करें। प्रदेश के पेंशनरों की उम्र सेवानिवृत्ति उपरान्त 65, 70 एवं 75 प्रारम्भ होते ही क्रमशः 5, 10 एवं 15 प्रतिशत की दर से विशेष वेतन वृध्दि दी जाने के आदेश जारी करें। यह बिन्दु सबसे पहले बिना किसी संघ के नवम्बर 2022 को नीमच से प्रदेश पेंशनरों के हित में सरकार को लिखा गया था। 30 जुन एवं 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनरों को एक वेतन वृद्धि जोड़कर पेंशन का लाभ दिया जावे। तत्पश्चात 15 जनवरी 2024 को प्रदेश के मुख्यमंत्री,वित्त मंत्री एवं वित्त सचिव को पत्र लिखा गया कि धारा 49 (6) में आपसी सहमति के संबंध में कहीं उल्लेख नहीं है।दिनांक 9 जनवरी एवं 15 जनवरी 2024 के पत्रों के आधार पर 19 फरवरी 2024 को उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर में याचिका क्रमांक WP 04357/2024 दर्ज करवाई गई। दिनांक 1 मार्च 2024 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश के पेंशनरों के पक्ष में आठ बिन्दुओं पर निर्णय पारित किया गया। इस दौरान 1 फरवरी 2024 से 2 मार्च 2024 तक नीमच कलेक्टर कार्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन भी किया गया।ओर आठों बिंदुओं पर विचार कर तीन माह में लागू करवाने की मांग भी की गई।परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई,इस आधार पर अब न्यायालय सरकार को दिनांक 30 जुलाई 2024 को नोटिस जारी करेगा। कुछ संगठन प्रदेश के पेंशनरों को 4 प्रतिशत महंगाई राहत के नाम पर गुमराह कर रहे है।धारा 49 (6) के तहत छत्तीसगढ़ सरकार से प्रदेश सरकार सहमति भी प्राप्त नहीं कर सकती है। क्योंकि न्यायालय में अवमानना प्रकरण दायर हो गया है। अवमानना प्रकरण प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। जब तक प्रकरण का निराकरण नहीं हो जाता तब तक सरकार 50 प्रतिशत महंगाई राहत का आदेश जारी नहीं कर सकती है।प्रदेश सरकार द्वारा 14 मार्च 2024 की मंत्रिपरिषद की बैठक में पेंशनरों के लिए महंगाई राहत की घोषणा नहीं की जाने पर संयुक्त विभाग पेंशनर संघ द्वारा दिनांक 15 मार्च को प्रधानमंत्री भारत सरकार के नाम एक पत्र लिखा गया। जिसके संदर्भ में प्रदेश सरकार ने ताबड़तोड़ छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति प्राप्त कर प्रदेश के पेंशनरों को 46 प्रतिशत महंगाई राहत के छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 1 मार्च 2024 की सहमति के आधार पर आदेश जारी किए गए। जिसके कारण प्रदेश के पेंशनरों को आठ माह के एरियर का नुकसान उठाना पड़ा।ईसके पूर्व भी छः माह का एरियर का नुकसान किया गया। तब दिनांक 26 मार्च को छत्तीसगढ़ सरकार के प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए प्रदेश सरकार के प्रमुख वित्त सचिव को भी लिखा गया।समयावधि में किसी प्रकार का जवाब नहीं आने पर उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर में प्रकरण क्रमांक WP/12519/2024 दर्ज कराया गया। जिसका निर्णय दिनांक 10 मई 2024 को न्यायालय ने प्रदेश के पेंशनरों के पक्ष में दिया। न्यायालय के निर्णय में दिए गए निर्देशानुसार सरकार को
समस्त आवश्यक दस्तावेज पुनः प्रेषित किए गए। इस प्रकरण में सरकार को निर्णय लेने हेतु 4 माह का समय दिया गया।ओर अब संयुक्त पेंशनर संघ ने निर्णय लिया है कि चार माह की समयावधि में सरकार द्वारा हमारे पक्ष में निर्णय नहीं लिया जाता है तो संघ द्वारा उचित कार्यवाही के साथ आंदोलन किया जाएगा।