नीमच जिले के अधिकारी कर रहे हैं कर्मचारियों का आर्थिक शोषण
सिंगोली।वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए एरियर की राशि के भुगतान के आदेश के बावजूद नीमच जिले में निर्धारित नवम्बर महीने में वार्षिक वेतनवृद्धि के एरियर का भुगतान नहीं किया गया है जिससे कर्मचारियों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है जिसके चलते कर्मचारी वर्ग में नाराजगी बढ़ती जा रही है।मध्यप्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद भी नीमच जिले के अधिकारी विभागीय कर्मचारियों के स्वत्वों के भुगतान को लेकर बिल्कुल भी गम्भीर नहीं दिखाई दे रहे हैं जिससे अल्प वेतन प्राप्त करने वाले छोटे कर्मचारियों का आर्थिक शोषण हो रहा है वहीं अपने ही कर्मचारियों का आर्थिक रूप से शोषण करने के मामले में शिक्षा विभाग अव्वल प्रतीत हो रहा है जिसमें भी जावद विकासखण्ड में लेटलतीफी एवं लापरवाही बरतने के कई प्रकरण लगातार उजागर हो रहे हैं लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के कारण ऐसे लापरवाह कार्यालयों के जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं किए जाने से इनके हौंसले बुलंद हो रहे हैं जिसका खामियाजा न केवल पुराने कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है बल्कि नई शिक्षण भर्ती के तहत नियुक्त किए गए नवनियुक्त शिक्षकों को भी इस श्रेणी में शामिल कर दिया गया है जिसके चलते दो महीने बीत जाने के बाद भी नवनियुक्त शिक्षकों को अपनी पहली पगार नहीं मिल सकी है वहीं पुराने कर्मचारियों को वार्षिक वेतनवृद्धि के एरियर का 50 प्रतिशत भुगतान भी नहीं किया गया है जबकि शासन के आदेश और निर्देश के मुताबिक इस राशि का भुगतान कर्मचारियों को अक्टूबर माह के वेतन के साथ नवम्बर महीने में किया जाना था लेकिन पूरा एक माह बीत जाने के बावजूद भी एरियर की राशि का भुगतान करने की दिशा में किसी तरह की कार्यवाही नहीं दिखाई दे रही है वहीं जानकारी यह भी मिल रही है कि रतलाम के जिला कोषालय कार्यालय ने वरिष्ठ कार्यालय की फटकार के बाद सम्बंधित आहरण अधिकारियों को तत्काल एरियर के देयक प्रस्तुत करने के लिए 14 दिसम्बर को आदेश जारी किए हैं।सूत्रों के मुताबिक जावद क्षेत्र में नवनियुक्त शिक्षकों की फाइलें तैयार करने के लिए भी कुछ कर्मचारियों द्वारा अवैध रूप से वसूली करने की शिकायतें लगातार सामने आ रही है और इतना समय बीतने के बाद भी आज तक नवनियुक्त शिक्षकों को अपनी पहली तनख्वाह नहीं मिली है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी के कारण भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के कारनामे बढ़ते जा रहे हैं और शोषित वर्ग की मुश्किलें बढ़ती जा रही है जिससे कतिपय शिक्षक मनमानी पर लगाम कसने के लिए न्यायालय की शरण लेने पर विचार कर रहे हैं यदि ऐसा हुआ तो जिले के लिए शर्मनाक स्थिति हो सकती है कि समय पर स्वत्वों के भुगतान को लेकर न्यायालय से गुहार लगानी पड़ रही है।