स्कूल शिक्षा विभाग में स्थानांतरण नीति की उड़ी धज्जियाँ
सिंगोली(माधवीराजे)।मध्यप्रदेश शासन के सबसे अधिक कार्यरत कर्मचारियों,शासकीय सेवकों के अमले वाले शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षक वर्तमान में वर्षों से लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल में जमे अधिकारियों द्वारा मानसिक और आर्थिक शोषण का सामना कर रहे हैं।स्कूल शिक्षा विभाग में स्थानान्तरण नीति की ऐसी धज्जियाँ उड़ी कि पारिवारिक परिस्थितियों आदि के कारण शिक्षकों द्वारा चाहे गए स्थानांतरण नहीं हुए परंतु कई ऐसे स्थानांतरण हो गए जिन्होंने ऑनलाइन या ऑफ लाइन आवेदन ही नहीं किया वहीं जरूरत वाले शिक्षक स्थानांतरण आदेश का इंतजार ही करते रह गए।नवीन शिक्षा एजुकेशन पोर्टल 3.0 पर छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों के सही अनुपात में स्वीकृत पद संख्या अपडेट न होने के कारण छात्र संख्या के आधार पर विधिवत स्वीकृत पदों पर कार्यरत शिक्षकों को सरप्लस(अतिशेष)/युक्तिकरण की सूची में शामिल करके उनको शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मानसिक रूप से परेशान कर दिया जबकि एजुकेशन पोर्टल 2.0 का अवलोकन करें तो छात्र संख्या के आधार पर स्वीकृत पद संख्या और कार्यरत संख्या सही होने के बाद भी पोर्टल 3.0 में विसंगति ही विसंगति दिखाई दे रही है जिनको दूर करने हेतु महीनों बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कदम जिले से लेकर संभाग और राज्य शासन डीपीआई स्तर से नहीं उठाए गए जिसके लिए संचालनालय स्तर से लेकर जिला स्तर तक के पदस्थ अधिकारी,कर्मचारी जिम्मेदार हैं।एजुकेशन पोर्टल 3.0 के सेटअप के आधार पर कक्षा 6 से 10 तक छात्र संख्या 261 से 300 तक 02 पद सामाजिक विज्ञान,हिंदी,संस्कृत के स्वीकृत होने का प्रावधान होने के बाद भी 325 से अधिक विद्यालय में दर्ज बच्चों पर केवल एक पद एजुकेशन पोर्टल 3.0 पर विसंगति पूर्ण सैकड़ों स्कूलों में दिखाया जा रहा है जिससे छात्र संख्या के आधार पर विधिवत स्वीकृत पद पर पदस्थ शिक्षकों का नाम सरप्लस (अतिशेष) की सूची में शामिल करके उन्हें मानसिक प्रताड़ना महीनों से विभाग में पदस्थ अधिकारियों ने दे रखी है।मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल द्वारा गत 20 वर्षों में जारी स्थानांतरण नीति का यदि हम अवलोकन करें तो सभी में सरप्लस होने पर, जूनियर शिक्षक को प्रभावित करने का उल्लेख किया गया है परंतु शासन में पदस्थ निरंकुश अधिकारियों द्वारा शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा मनमाने ढंग से शासन की स्थानांतरण नीति के विरुद्ध शिक्षा विभाग की मनमानी स्थानांतरण नीति बनाकर जारी करके विधिवत रूप से छात्र संख्या के आधार पर पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष दिखाकर उनके नियम विरुद्ध स्थानांतरण किए गए हैं जबकि 2020 से पहले की स्थानांतरण नीति का अवलोकन करें तो जूनियर(कनिष्ठ) को प्रभावित करने का ही प्रावधान है परंतु वर्तमान में चार वर्ष पूर्व 2022 में जारी स्थानांतरण के आधार पर नियम विरुद्ध सरप्लस की सूची में शामिल शिक्षकों को दबाव डालकर जबरदस्ती स्थानांतरण कराने ऑनलाइन आवेदन करने के लिए विवश किया गया जबकि वे सरप्लस में आ भी नहीं रहे थे।वर्ष 2022 से 24 के मध्य बिना रिक्त पद के परिवीक्षा पर कार्यरत शिक्षकों के स्थानांतरण किए गए।ऐसे नियम विरुद्ध स्थानांतरण को वैध करने विधिवत रूप से पदस्थ,कार्यरत शिक्षकों को प्रभावित किया जा रहा है।शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप तथा शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षावार विद्यालय में दर्ज छात्र संख्या के आधार पर एजुकेशन पोर्टल 3.0 पर शिक्षकों के स्वीकृत पदों को अपडेट किया जाना था परंतु पोर्टल को अपडेट न करते हुए हजारों शिक्षकों को नियम विरुद्ध सरप्लस की सूची में शामिल करके शिक्षकों को मानसिक रूप से शिक्षा विभाग द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।अधिकारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि संचालनालय स्तर पर शिक्षा विभाग में पदस्थ एक अधिकारी द्वारा निरंतर नियम विरुद्ध कार्य किये जा रहे हैं तथा मनमाने नियम बनाये जा रहे हैं।शासन को तत्काल मनमाने कार्य करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही सहित एजुकेशन पोर्टल 3.0 को अपडेट कराने हेतु निर्देश जारी करना चाहिए जिससे नियम विरुद्ध हजारों की संख्या में सरप्लस की सूची में शामिल शिक्षक उक्त सूची से बाहर हो सके और मानसिक पीड़ा और शोषण से मुक्ति प्राप्त कर सके।