नीमच।माननीय न्यायालय द्वारा पंचायत चुनाव में ओबीसी के आरक्षण पर लगाई गई रोक के विरोध में बहुजन समाज पार्टी ने बुधवार को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर प्रतिनिधि तहसीलदार अजय हिंगे को सौंपा जिसमें बताया गया कि वर्तमान में मध्य प्रदेश में हो रहे पंचायतों के चुनाय में ओबीसी का आरक्षण अचानक समाप्त करना और उस पर महाभारत मचना भारत की प्रजातंत्रीय राजनीति का मखौल बन गया है सन 1950 में भारत का संविधान लागू होने के साथ ही 1952 में काका कालेलकर आयोग ही इस लिए बना था कि देश पिछडा हुआ था । परंतु उस समय जो लोग राजनीति के शिखर पर विराजमान हुए उनहें देश में पिछड़ापन दिखा ही नहीं, इस लिये काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को सदा-सदा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया. बाद में मंडल आयोग का गठन करना पड़ा। सरकारें सुनियोजित सोचती है कि कागज पर तालाब खोद दो पानी जब निकलना होगा, निकलेगा. पिछडे लोगों को सरकार की नजरों में क्यों पिछडा मान लिया जाये। भारत की सरकारें शायद अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की कही हुई बातों को कभी अहमियत देने की जददोजहद नहीं करती कि थोडे से लोगों को बहुत समय तक पंचायत चुनायों में ओबीसी. आरक्षण समाप्त करना यह भी सूचित कर रहा है कि निकट 2022-23 के विधानसभा चुनावों में और अंतत: 2024 के लोकसभा के संसदीय चुनावों में भी आरक्षण को पलीता लगाकर ठंडा किया जायेगा.बाद में धीरे से एस. सी. एस. टी. में आरक्षण को भी ठिकाने लगाने की युक्ति निकाली जायेगी।बहुजन समाज पार्टी ने ज्ञापन में मांग की है कि मध्य प्रदेश के अन्य पिछडे वर्गों के आरक्षण की रोक हटाकर सरकार को अन्य पिछडे वर्गों में आने वाली जातियों के लिए पंचायतों में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए।