पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं की वेदना समझना ही नहीं चाहते
सिंगोली(निखिल रजनाती)। जावद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी से टिकट प्राप्त करने के दावेदार पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं की वेदना समझना ही नहीं चाहते हैं तो क्या इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भी नेताओं की निजी महत्वाकांक्षाओं का ग्रहण लगेगा क्योंकि विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के लिए तो जमीनी हकीकत ऐसी ही दिखाई पड़ रही है कि पार्टी के हित में टिकट का कोई भी दावेदार फिलहाल तो निजी इच्छाओं का त्याग करते हुए नहीं दिखाई दे रहा है और हालात यूँ ही रहे तो साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए इससे बढ़िया क्या हो सकता है कि भाजपा इस बार भी कांग्रेस की आपसी फूट से चुनावी वैतरणी पार कर लेगी और ऐसा होता है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि पिछले 4 चुनावों की तरह लगातार पाँचवें चुनाव में भी जीत हासिल कर लें भले ही भाजपा के खिलाफ एन्टी इनकम्बैंसी क्यों न हो।उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पिछले 4 चुनावों में लगातार हारने के बावजूद भी जावद विधानसभा क्षेत्र में भले ही नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन कांग्रेस का निष्ठावान आम कार्यकर्ता तो पार्टी में चल रहे ऐसे हालातों से बहुत दुःखी हैं और कार्यकर्ता तो पार्टी को जीतते हुए देखना चाहता है परन्तु टिकट के दावेदार कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए काम कर रहे हैं।हाँलांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के नेता जावद विधानसभा क्षेत्र में पनपे हुए इन हालातों को समझ रहे हैं और इसी के चलते प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने अपने तरीके से टिकट प्राप्त करने वाले दो दावेदारों सत्यनारायण पाटीदार और राजकुमार अहीर के बीच समन्वय और सुलह कराने का प्रयास भी किया लेकिन उसके बाद जावद क्षेत्र में हुए पार्टी के कार्यक्रमों में वैसा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है जैसा दिग्विजयसिंह चाहते हैं।दिग्गी के दौरे के बाद जावद क्षेत्र में कांग्रेस के जितने भी कार्यक्रम हुए हैं लगभग सभी कार्यक्रम आपसी गुटबाजी और प्रतिद्वन्दिता से ओतप्रोत ही रहे जिससे ऐसा लग रहा है कि नेताओं को अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुँचाना मंजूर है लेकिन निजी महत्वाकांक्षा नहीं छोड़ेंगे।नेताओं की गुटबाजी के शिकार जावद विधानसभा क्षेत्र में वैसे तो टिकट के कई दावेदार दिखाई दे रहे हैं लेकिन खास प्रतिद्वंदिता कमलनाथ खेमे के माने जाने वाले राजकुमार अहीर और दिग्विजयसिंह गुट के समझे जाने वाले पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष सत्यनारायण पाटीदार के बीच ही प्रतीत हो रही है और टिकट की घोषणा से पहले ही दोनों ही दावेदार कांग्रेस के नाम पर जो शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं उससे तो फिलहाल यही लग रहा है कि पार्टी हित में कोई भी झुकने के लिए तैयार नहीं हैं और बीते पिछले 4 चुनावों में भाजपा को इसी तरह की गुटबाजी व भीतरघात का फायदा मिलता रहा है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि जावद विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस ही कांग्रेस को हरवाती है।अब ज्यों ज्यों चुनाव का समय नजदीक आता जाएगा नेताओं की सक्रियता भी ज्यादा बढ़ने वाली है और इसी के चलते विधानसभा क्षेत्र के कुछ अतिउत्साही युवा यह मानकर चल रहे हैं कि राजकुमार अहीर और सत्यनारायण पाटीदार की प्रतिद्वंदिता से परेशान कांग्रेस पार्टी ने यदि किसी तीसरे विकल्प की तलाश की तो उनका नम्बर भी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लग सकता है।बहरहाल साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने में कांग्रेस के लिए कांग्रेस के नेता ही एक बड़ी चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं तो ऐसे हालातों में कांग्रेस के लिए कुछ भी ठीक नहीं कहा जा सकता।