नीमच। जिले के शेष बचे निजी स्कूलों को आरटीई के भुगतान और आरटीई में आ रही विसंगतियों को दूर करने की मांग को लेकर शुक्रवार को जिले के अशासकीय विद्यालय संगठन के सदस्य कलेक्टर कार्यालय पहुचे जहा उन्होंने कलेक्टर के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत कर बताया कि नीमच जिले में 400 से अधिक निजी स्कूल संचालित है,जिसमें से लगभग 325 स्कूलों का आईटीई का वर्ष 2022-23 का भुगतान हुआ है जबकि लगभग 88 स्कूलों का भुगतान रुका हुआ है जिसके कारण हम निजी स्कूलों को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, इसके अतिरिक्त भी हमें आरटीई के संबंध में कई सारी विसंगतियां का सामना करना पड़ रहा है जिज़मे मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में आरटीई का वर्ष 2022-23 भुगतान हो चुका है नीमच जिले में भी लगभग 325 स्कूलों का भुगतान हो चुका है, लेकिन अभी भी लगभग 88 स्कूल शेष है जिनको आईटीई का भुगतान नहीं किया गया है जिनमें अधिकतर स्कूल मनासा रामपुरा तहसील के हैं यह भुगतान शीघ्र किया जाए।वर्ष 2021-22 और 2022-23 के ऐसे बच्चे जिनका तकनीकी कारणों से रिजेक्ट किया गया है, उनका भी भुगतान आवश्यक रूप से उनके साथ ही किया जाए।आरटीई पोर्टल से कुछ बच्चों के नाम गायब हुए हैं, जो वर्तमान में स्कूलों में आरटीई के तहत तो पढ़ रहे हैं, लेकिन आरटीई पोर्टल पर उनका नाम नहीं है ऐसी स्थिति में शासन स्तर पर उनका नाम पोर्टल पर जोड़कर उनका अभी तक का भुगतान किया जाये या तो उनका नाम आरटीई से बाहर किया जाये,वर्ष 2023-24 में आरटीई प्रपोजल लॉक करने की अंतिम तिथि निकले कई दिन बिट गए हैं लेकिन नीमच जिले में अभी भी स्कूलों के लिए आरटीई के नोडल अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है, जिनके कारण स्कूलों द्वारा प्रपोजल फॉरवर्ड नहीं किया जा रहा है।शीघ्र नोडल की नियुक्ति कर प्रक्रिया को गति दी जाए ताकि पिछले वर्ष 2023-24 के आरटीई का भुगतान भी तय समय सीमा में किया जा सके।ऐसे बच्चे जिनका थंब इंप्रेशन न पाने के कारण या मोबाइल की सिम चेंज या बंद कर देने के कारण ओटीपी नहीं जा पाती है, ऐसी स्थिति में इन बच्चों के प्रपोजल बनाते समय इनका फिजिकल वेरिफिकेशन की व्यवस्था की जाए ताकि स्कूलों द्वारा प्रपोजल बनाए जाने पर उनका भी भुगतान प्राप्त किया जा सके।सोपास, मध्यप्रदेश प्राइवेट स्कूल का रजिस्टर्ड संगठन नीमच जिला इकाई मांग करता है की 05 अक्टूबर 2024 तक आवश्यक रूप से बचे हुए स्कूलों का भुगतान करने के साथ ही उपरोक्त वर्णित विसंगतियों को दूर किया जाए, अन्यथा हमें अपने हितों की रक्षा के लिए वैधानिक तरीके से आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा