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मेडिकल की पढ़ाई में प्रथम शिक्षक - कैडवेरिक

नीमच। लोग अपने से बड़े बुजुर्गों या उस शख्स को अपना गुरु व आदर्श मानते हैं जिनसे वह प्रेरित होते हैं। लेकिन मेडिकल के छात्रों के लिए उनका प्रथम गुरु मानव शरीर होता है. यही वजह है कि मेडिकल यानी  एमबीबीएस छात्रों के बीच एक अनोखी परंपरा का पुराना चलन चलता आ रहा है. इस परंपरा को कैडवेरिक ओथ कहते हैं. नीमच के चिकित्सा महाविद्यालय में 22 नवंबर को एमबीबीएस पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को मानव संरचना विभाग द्वारा कैडवेरिक ओथ  दिलवाई गई । कैडेवर उस संरक्षित शव को कहते है, जिससे विद्यार्थी शारीरिक संरचना की पढ़ाई करते है। शपथ में कैडेवर के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया। यह शपथ ग्रहण शरीर संरचना विभाग की प्रमुख एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ फातिमा भोपालवाला अली, डॉ मृदुल त्रिपाठी, डॉ इति मंत्री, डॉ राहुल चौहान एवं डॉ चंचल सापल्या के द्वारा दिलवाई गई। ज्ञात हो कि इस शपथ का उद्देश्य विद्यार्थियों को कैडेवर के प्रति सम्मान दिखाना होता है।कॉलेज के डीन डॉ अरविंद घनघोरिया ने कैडेवर के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुएं बलिदान हेतु कृतज्ञता प्रकट की। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के वाइस डीन डॉ आदित्य बेरड एवं डॉ आदेश पाटीदार के साथ डॉ रेणु वाघमारे, डॉ सचिन परमार, डॉ मुस्तफा अली, डॉ चेतन कुमार शर्मा , डॉ सुदर्शन गुप्ता, डॉ हेमेंद्र भारद्वाज, डॉ जगमोहन धाकड़, डॉ निशांत गुप्ता, डॉ शुभ्रा तिवारी, डॉ अंजली आर्य, डॉ विनय वर्मा, डॉ शिवानी व अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे। उक्त जानकारी मेडिकल कॉलेज के जनसंपर्क प्रभारी डॉ चेतन कुमार शर्मा एवं सहायक डॉ निशांत गुप्ता द्वारा दी गई।

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