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श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा को लेकर निकली कलश यात्रा

नीमच। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में जीवन जीने की कला सीखने के संस्कार मिलते हैं ।भागवत ज्ञान वैराग्य के कष्ट में जीवन को मार्गदर्शन करने वाला ग्रंथ है। भागवत जीवन का दर्शन कराने वाला दर्पण है। पाप कर्मों की निवृत्ति भी भागवत कथा के श्रवण करने से होती है। जिस स्थान पर कथा होती है वह स्थान तीर्थ हो जाता है। यह बात राष्ट्रीय अटल गौरव पुरस्कार से सम्मानित भागवत आचार्य पंडित गोविंद उपाध्याय  नृसिंह मंदिर मनासा वालों ने कहीं। वे अग्रवाल समाज बघाना एवं राधिका मंडल के संयुक्त तत्वाधान में बघाना स्थित फतेह चौक गोपाल मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के प्रथम दिवस बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भागवत कथा में प्रह्लाद आदि पार्षद गण की कथा श्रवण करने उपस्थित होते हैं। कथा से सांसारिक मोह का भ्रम दूर होता है। ब्रह्म हत्यारा, विश्वासघाती, सोने की चोरी करने वाला, शराबी और परस्त्री का गमण करने वाला व्यक्ति आदि पांच प्रकार के महापाप होते हैं।भागवत कथा श्रवण करें तो पापों से मुक्ति हो जाती है।श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा 1 जनवरी से 7 जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक फतह चौक बघाना स्थित गोपाल मंदिर के प्रांगण में पंडित गोविंद उपाध्याय के श्री मुख से प्रवाहित होगी। भागवत कथा का शंखनाथ 1 जनवरी को अग्रवाल पंचायत भवन बघाना से सुबह 9.30 बजे भागवत पोथी पूजन आरती के बाद  कलश यात्रा के साथ हुआ।कलश यात्रा बघाना क्षेत्र के प्रमुख मार्गो से निकली जिसमे महिलाएं अमृत कलश शिरोधार्य किये सहभागी बनी। श्रद्धालु भक्त भगवत पोथी शिरोधार्य किए चल रहे थे। महिलाएं लोकगीत गाती चल रही थी।

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