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कीर्ति रत्न सागर जी महाराज के मंगल प्रवेश में उमड़े समाज जन

नीमच। तपस्या में धन खर्च करने से धन पवित्र होता है।यदि हम तपस्या नहीं कर सकते तो  तपस्या को करवाना चाहिए और वह भी नहीं कर सकते तो तपस्या की अनुमोदना   अवश्य करना चाहिए इससे भी आत्मा पवित्र होती है। और आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सकारात्मक सोच हो तो 13 माह की दीर्घ तपस्या भी सफल हो सकती है।वर्षितप की तपस्या के बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है।यह बात कीर्तिरत्न सागर जी महाराज ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ नीमच के तत्वाधान में पूज्य आचार्य विश्वरत्न सागर सुरीश्वर जी महाराज साहब के शिष्य पूज्य गणिवर्य श्री कीर्ति रत्न सागर जी महाराज साहब आदि ठाणा 2 का  मंगल प्रवेश के उपलक्ष्य में 20 मार्च गुरुवार को पुस्तक बाजार स्थित नूतन आराधना भवन में आयोजित अमृत प्रवचन श्रृंखला में उपस्थित समाज जनों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने बताया कि नीमच श्रीसंघ में 100 के लगभग तपस्वियों को वर्षीतप उच्चारणे (झेलाने) के लिए नीमच पधारे। नवकारसी सुबह 7:30 से 8:30 बजे तक आयोजित हुई।नवकारसी के पश्चात पूज्य गणीवर्य मसा का श्रीसंघ के साथ नगर प्रवेश का सामैया जुलूस  बारादरी से प्रारंभ होकर घंटाघर होते हुए श्री भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिरजी पर पहुंचा एवं भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद नूतन आराधना भवन पर मसा के प्रवचन हुए। मंगल प्रवेश जुलूस में सबसे आगे बैंड बाजे पर महावीर स्वामी के जीवन चरित्र पर आधारित विभिन्न भजन कीर्तन की स्वर लहरिया बिखर रही थी ।इसके साथ ही समाजजन बड़ी संख्या में साथ चल रहे थे। मार्ग में  स्थान स्थान पर समाज जनों द्वारा अक्षत का गहुली बना कर महाराज श्री से आशीर्वाद ग्रहण किया गया। गुरुवार को मसा के मंगल प्रवेश के अवसर पर बड़ी संख्या में समाज जनों ने शामिल होकर धर्म लाभ का पुण्य आशीर्वाद  ग्रहण किया। कीर्ति रत्न सागर जी महाराज के अमृत प्रवचन नियमित प्रतिदिन सुबह 9:15 बजे पुस्तक बाजार नूतन आराधना भवन में  आगामी तीन दिन तक आयोजित होंगे। इसके बाद प्रतिदिन रात को  8:30 नूतन आराधना भवन में महाराज श्री की अमृत प्रवचन भी आयोजित किए जाएंगे। सभी श्रद्धालु समाज जन समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान गंगा का पुण्य लाभ ग्रहण करें और अपने धार्मिक ज्ञान में अभिवृद्धि करें। वर्षितप के पारने 22 मार्च को होंगे। सभी समाज जन समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान गंगा का पुण्य लाभ ग्रहण करें।

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