अतिक्रमण तो माना लेकिन हटाया नहीं
सिंगोली।अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाला सिंगोली का राजस्व विभाग भले ही जिला प्रशासन और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने में हर बार कामयाब तो हो जाता है लेकिन तथ्यात्मक जानकारी पर कैसे और कब तक पर्दा डालकर भ्रमित करते रहेंगे क्योंकि अभिलेखों में की गई छेड़छाड़ किसी न किसी तरह विभाग के माध्यम से उजागर हो रही है इसी के चलते एक ही भूमि के सीमांकन की रिपोर्ट बार बार क्यों बदली जा रही है और भूमि के सीमांकन की बार बार बदली जा रही रिपोर्ट की सत्यापित प्रतियों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि आखिर राजस्व विभाग में इस प्रकार के गैर विवादित भूमि मामलों में एक वही राजस्व निरीक्षक और दूसरा वही पटवारी एक साल में अपनी ही रिपोर्ट को क्यों बदल रहा है जिससे असमंजस की स्थिति बन रही है तो ऐसे हालातों में भूमि स्वामी को कौनसी रिपोर्ट सही मानना चाहिए और किस रिपोर्ट पर विश्वास करना चाहिए ? यही मामला है जो सिंगोली के एक सरकारी स्कूल की जमीन से जुड़ा हुआ है जिसमें अपने दोनों पँचनामों में राजस्व विभाग स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण तो कबूल कर रहा है लेकिन स्कूल की जमीन से अतिक्रमण हटाया नहीं जा रहा है जिससे राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।उल्लेखनीय है कि कलेक्टर के आदेश के बाद 5 मार्च 2021 को स्कूल की भूमि का सीमांकन किया गया था जिसमें मौके पर बनाए पंचनामे में लिखा गया कि स्कूल की जमीन के उत्तरी-पूर्वी कोने पर 56 फीट भूमि नक्शे में दर्ज आकृति से कम पाई गई और इसी पंचनामे में यह भी लिखा कि दक्षिणी-पूर्वी कोने में भी नक्शे में दर्ज आकृति में 45 फीट भूमि मौके पर कम प्राप्त हुई इस तरह रिकॉर्ड के मुताबिक मौके पर स्कूल की डेढ़ बीघा जमीन कम है जबकि मार्च 2021 में किए गए सीमांकन के ठीक एक साल एक महीने बाद 26 अप्रैल 2022 को उसी राजस्व निरीक्षक द्वारा दोबारा सीमांकन किए जाने पर परिवर्तन हो गया जिसके चलते 26 अप्रैल को सीमांकन के दौरान बनाए गए पंचनामे में लिखा गया कि उत्तरी-पूर्वी कोने से पश्चिम की ओर 45 फीट भूमि पर एवं दक्षिण की ओर 150 फीट भूमि पर मोहनलाल पिता चिरंजीलाल का कब्जा पाया गया।इस प्रकार दोनों बार किए सीमांकन में अन्तर आ गया है वहीं दोनों सीमांकन रिपोर्टों में स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण होना बताया है तो उसे राजस्व विभाग द्वारा हटाया क्यों नहीं जा रहा है जबकि आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि यदि तीसरी बार किसी निष्पक्ष,अनुभवी एवं जानकारों की टीम द्वारा सीमांकन करवाया जाए तो फिर से सीमांकन रिपोर्ट बदलने के आसार दिखाई दे रहे हैं।