दिवाली में अली बसे , राम बसे रमजान ऐसा होना चाहिए अपना हिंदुस्तान
जीरन। (हेमन्त अहिरवार ) नगर में इस वर्ष डोल ग्यारस पर्व धूमधाम उत्साह पूर्वक मनाया गया विगत वर्षों कोरोना वायरस महामारी के चलते कोई भी बड़ा धार्मिक आयोजन सामूहिक रूप से नहीं किए गए थे इस वैश्विक महामारी में नगर के लगभग एक दर्जन भर नागरिक काल के ग्रास बने इस वर्ष कोविड -19 से राहत मिलने से सभी धार्मिक पर्व हिंदू मुस्लिमों द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले परंपरागत धार्मिक पर्व त्योहार मनाई जा रहे है।वही जीरन में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी डोल ग्यारस का धार्मिक त्योहार जीरन नगर में भी इस त्यौहार को सभी नगर वासियों ने मिलकर बड़े हर्षोल्लास से मनाया ओर यहां पर साम्प्रदायिकता की मिसाल भी देखने को मिली नगर में अखाड़े के करतबों के साथ अनेक जगह डोल की आरती की गई व प्रसाद वितरित किया गया। " दिवाली में अली बसे , राम बसे रमजान ऐसा होना चाहिए अपना हिंदुस्तान " किसी शायर की ये चंद लाईने जीरन की सरजमीं पर परवान होती दिखाई दी जीरन में साम्प्रदायिक सौहार्द की ऐसी मिसाल पेश हुई की मंगलवार को हिन्दू महापर्व जलझूलनी एकादशी पर निकले विशाल जलसे को पूरे जीरन ने एक साथ भव्य रूप से मनाया वही नगर के सभी 11 मंदिरों के भगवान डोल (बेवाण ) में विराजमान होकर बैंडबाजे के साथ पूरे नगर में नगर भृमण पर निकले व जीरन के ऐतिहासिक सरोवर के घाट पर देव स्नान कर वापिस जैसे ही मस्जिद के पास पहुंचे तो वहां मुस्लिम समाज ने दिल खोलकर जुलूस का स्वागत किया मुस्लिम समाज के लोगो ने जुलूस के बीच पहुंच कर हिन्दू भाईयो को गले लगाकर डोल ग्यारस पर्व की बधाई दी मुस्लिम भाईयो ने बेवाण में विराजित भगवानको पुष्पमाला और प्रसाद अर्पित कर सेकड़ो की तादात में खचाखच भरे रास्ते पर प्रसाद बांट कर ढोल की थाप पर थिरक कर खुशी का इजहार किया मुस्लिम भाईयो ने इस दौरान भगवान के बेवाण को अपने कांधे पर उठाए इस दौरान यादगार हो गए वो लम्हे जब पूरे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश लिए साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश हुई इस कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों की व्यवस्था भी बढ़िया रही।