नीमच। जिले की तहसील जावद के ग्राम उपरेड़ा निवासी अनुसूचित जनजाति के किसान मुकेश भील मंगलवार को अपनी कृषि भूमि पर अवैध कब्जे और जातिसूचक गालियों की शिकायत लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में एक अनोखे अंदाज में पहुंचा। मुकेश ने अपने गले में दर्जनों शिकायतों की प्रतियों की माला पहन रखी थी, जो प्रशासनिक उदासीनता और न्याय न मिलने की पीड़ा को प्रतीकात्मक रूप से दर्शा रही थी।जनसुनवाई में आवेदन प्रस्तुत करने के बाद भी जब उसे संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला, तो वह कलेक्टर कार्यालय के मुख्य गेट पर धरने पर बैठ गया।मुकेश भील ने शिकायत में बताया कि उसकी ग्राम नीलिया स्थित कृषि भूमि सर्वे क्रमांक 699 रकबा 1.150 हेक्टेयर और सर्वे क्रमांक 700 रकबा 0.420 हेक्टेयर, कुल रकबा 1.57 हेक्टेयर है, जो राजस्व अभिलेखों में उसके नाम दर्ज है। मुकेश का आरोप है कि उसने यह भूमि वर्ष 2016 से 2024 तक गोपाल पाटीदार को बंटाई पर दी थी, लेकिन 2024 के बाद भूमि वापस लेने पर गोपाल ने इस पर अवैध कब्जा कर लिया और विरोध करने पर जातिसूचक गालियां दीं व जान से मारने की धमकी भी दी।मुकेश के अनुसार उसने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल से लेकर डीकेन चौकी और अन्य अधिकारियों तक अनेक शिकायतें कीं। मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर कलेक्टर और तहसीलदार तक निर्देश दिए गए। 6 जून 2025 को राजस्व अमले ने सीमांकन कर यह पाया कि भूमि पर गोपाल पाटीदार का अवैध कब्जा है और मौके पर निशानात भी लगवाए गए। बावजूद इसके 8 जून को अनावेदकगण ने फिर निशान हटा दिए और पुनः कब्जे की कोशिश की।इतना ही नहीं, 29 जून को जब मुकेश बोवनी करने गया तो शांतिलाल भील ने उसे धमकाया और खेती करने से रोक दिया। पुलिस में शिकायत देने के बावजूद, डीकेन चौकी के स्टाफ ने कार्रवाई नहीं की, उल्टा गेट की चाबी जमा करने का दबाव बनाने लगे।मुकेश ने बताया कि गोपाल पाटीदार एक आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है, जो अनुसूचित जाति-जनजाति के गरीब लोगों की जमीनें कब्जाने के लिए कुख्यात है। वह लगातार मुकेश व उसके परिवार को धमकियां दे रहा है, जिससे उनका जीवन भय और असुरक्षा में बीत रहा है।जनसुनवाई में शिकायत देने के बाद भी जब कोई संतोषजनक कार्रवाई या आश्वासन नहीं मिला तो मुकेश कलेक्टर कार्यालय के गेट पर ही बैठ गया और अधिकारियों की समझाइश के बाद भी नहीं उठा। उसकी मांग है कि दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, उसे अपनी ही जमीन पर खेती करने का अधिकार दिया जाए और उसके तथा उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।यह मामला न केवल एक किसान की जमीन की रक्षा का है, बल्कि एक आदिवासी समुदाय के व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पीड़ित किसान को कब न्याय दिला पाता है।इस मामले में अतिरिक्त कलेक्टर लक्ष्मी गामड़ ने बताया कि सरवानिया महाराज का एक मुकेश भील नाम का व्यक्ति हमारे पास जनसुनवाई में आया था, उसका यह कहना था कि उसकी जमीन है जिसे उसने किसी को खेती करने के लिए दिया था उस पर उस व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है। उस मामले को परीक्षण के लिए एसडीएम जावद को भेजा है। उसका 2 दिन में परीक्षण कर उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।