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कथा को सुनने से ही मनुष्य जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त हो जाता है-श्री नन्दकिशोरदास जी


कलशयात्रा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

 
 सिंगोली(निखिल रजनाती)।12 जनवरी गुरुवार को नीमच-सिंगोली सड़क मार्ग पर स्थित श्री नारायण गौशाला में 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का श्रीगणेश हुआ इससे पहले कलशयात्रा निकाली गई।श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा यह कथा विश्व में सभी कथाओं में श्रेष्ठ मानी गई है।जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन(वाचन)होता है वह तीर्थ स्थल कहलाता है।इसको सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियों को ही मिलता है।ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है तो भी वो वह कई पापों से मुक्ति पा लेता है इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।यह प्रवचन संत श्री नन्दकिशोरदास जी महाराज ने सिंगोली के नजदीक स्थित श्रीनारायण गौशाला कछाला में गुरुवार को श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ पर यहाँ मौजूद श्रद्धालुओं से कहे।उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से मानव जीवन में एक जन्म नहीं अपितु हमारे कई जन्मों के पापों का नाश होने के साथ ही हमारे शुभ कर्मों का उदय भी हो जाता है वहीं श्रीमद्भागवत गीता कथा को सुनने मात्र से ही मनुष्य जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।भागवत कथा वाचन में संत ने बताया कि नारदजी ने भक्ति देवी के कष्ट की निवृत्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का साप्ताहिक अनुष्ठान किया था जहाँ संतकुमारों ने भागवत का प्रवचन करते हुए नारद के मन का संशय दूर किया।इसी कथा को धुंधकारी प्रेत ने अपने अग्रज से श्रवण किया और प्रेत योनि से मुक्ति पाकर विष्णु लोक को प्राप्त किया।श्रीमद्भागवत कथा भगवान श्रीकृष्ण के मुख की वाणी है इसलिए इस ग्रन्थ को किताब या पुस्तक नहीं समझना चाहिए।गौशाला में श्रीमद्भागवत कथा शुभारम्भ से पूर्व समीपस्थ ग्राम पिपलीखेड़ा स्थित भगवान चारभुजानाथ मन्दिर से बड़ी संख्या में महिलाएं सिर पर कलश धारण कर करीब दो किलोमीटर दूरी पर नारायण गौशाला परिसर तक ढोल धमाके व डीजे की धुन पर महिला,पुरुष एवं बच्चे नृत्य करते हुए चल रहे थे जबकि कलश यात्रा में भँवरलाल धाकड़ पिपलीखेड़ा ने अपने सिर पर भागवत पोथी धारण कर चल रहे थे।श्री नारायण गौशाला में गुरुवार को शुरू हुई श्रीमद्भागवत कथा में सिंगोली,कछाला,पिपलीखेड़ा सहित अन्य गाँवों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में कथा श्रवण कर रहे थे।

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