सिंगोली(माधवीराजे)।श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में हर्ष उल्लास से भक्तिमय वातावरण में भक्तिभाव से मनाया जा रहा 8 दिवसीय अष्टान्हिका महापर्व समापन की ओर है।स्थानीय श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सिंगोली में अष्टान्हिका महापर्व में सेमारी से पधारे हुए पंडित श्री हिमालय जी मंगलार्थी के सानिध्य में 3 जुलाई से धूमधाम से मनाये जा रहे अष्टान्हिका पर्व में इस अवसर पर प्रातःकाल प्रक्षाल पूजन के उपरांत संगीतमय पंचमेरु नंदीश्वर विधान का आयोजन पूरे भक्ति भावपूर्वक चल रहा है तथा रात्रि में युवा वर्ग के लिए एक सत्र चल रहा है जिसमें आचार्य कल्प पंडित प्रवर श्री टोडरमल जी द्वारा रचित श्री मोक्ष मार्ग प्रकाशक जी ग्रंथ के आधार से पंडित श्री हिमालय जी ने बताया कि संसार का प्रत्येक प्राणी दुखी है एवं सुख को चाहता है लेकिन उसे दुख का कारण नहीं पता है इसीलिए वह दुख दूर नहीं कर पा रहा है इसलिए उन्होंने दुख का कारण बताते हुए कहा कि दुख का कारण प्रतिकूलता नहीं आकुलता है एवं सुख का कारण अनुकूलता नहीं निराकुलता है एवं आकुलता राग-द्वेष मोहादिक भावों के कारण होती है और राग-द्वेष मोह आदि भाव पदार्थ को अपने अनुसार परिणमन करने की इच्छा के कारण होते हैं अतः अगर आपको सुखी होना है तो निराकुल होना एवं निराकुल होने के लिए पदार्थ का जैसा परिणमन होना है उसे सिर्फ देखने जानने का कार्य हमें करना है उनमें कुछ भी हेरफेर करने का भाव हमें नहीं करना है।इसी से हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है एवं हम अनंत सुख प्राप्त कर सकते हैं।