नीमच। वीर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था. वे एक प्रखर राष्ट्रवादी और साहस की प्रतिमूर्ति थे. भारत की स्वाधीनता के लिए जो कष्ट उन्होंने सहे उसकी कल्पना भी मुश्किल है देश की आज़ादी में उनका संघर्ष और योगदान भारतवासियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.सावरकर पर अंग्रेज अफसर की हत्या की साजिश रचने और भारत में क्रांति की पुस्तकें भेजने के दो अभियोगों में 25-25 वर्ष यानी कुल 50 वर्ष की सजा सुनाई गई थी. वर्ष 1911 में उन्हें अंडमान निकोबार की सेलुलर जेल में भेज दिया गया।यह बात भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामदोर सावरकर की जयंती के मौके पर भारत विकास परिषद द्वरा आयोजित उपनगर बघाना स्तिथ उनकी प्रतिमा पर कार्यक्रम के दौरान विधायक दिलिप सिंह परिहार ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करने के दौरान कही.उन्होंने कहा कि अपने विचारों से असंख्य भारतीयों के ह्रदय में देशभक्ति का दीप प्रज्वलित करने वाले उत्कृष्ट राष्ट्रभक्त वीर सावरकर जी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन करते है. वीर सावरकर जी की देशभक्ति, त्याग और समर्पण वंदनीय है और युगों-युगों तक देशवासियों को प्रेरणा देने का काम करता रहेगा. इस दौरान भारत विकास परिषद शाखा के सदस्यो और भाजपा पदाधिकारी कार्यकर्ताओं ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।