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विश्व शांति महायज्ञ के साथ ही आठ दिवसीय नंदीश्वर विधान का समापन

सिंगोली(निखिल रजनाती)। नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षा प्राप्त व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमानसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के सानिध्य में अष्टान्हिका महापर्व के अवसर पर 04 जुलाई मंगलवार को आठ दिवसीय श्री नंदीश्वर विधान का विश्व शांति महायज्ञ के साथ समापन हुआ।मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में 4 जुलाई मंगलवार को प्रातःकाल श्रीजी का अभिषेक,शान्तिधारा हुई व विधान के अंतिम दिन मुनि श्री ससंघ के सानिध्य में बड़े भक्ति भाव के साथ संगीतमय विधान पूजन महिला मंडल द्वारा अष्ट द्वव्य की थाल सजाकर लाई गई व भक्तिभाव के साथ सुजान जागृति महिला मंडल,विज्ञान वर्धिनी महिला मंडल,दर्शित बालिका मंडल,युवा परिषद महिलाओं व समाजजनों द्वारा बड़े भक्ति भाव के साथ भगवान को अर्घ्य समर्पित किए व आचार्य श्री व दोनों मुनिराजों  को भी अर्घ्य समर्पित किए।कार्यक्रम में मंगलाचरण,चित्र अनावरण,दीप प्रजलन व मुनिश्री ससंघ का पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य समाजजनों को प्राप्त हुआ।इस अवसर पर मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज शासन प्राप्त करने की होड़ में लोग जोड़-तोड़ में लगे रहते हैं,आज शासन करना एक व्यवसाय का रूप ले चुका है परंतु भगवान महावीर का शासन इस शासन के बिल्कुल उल्टा है।भगवान महावीर स्वामी ने पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के बाद आज के दिन ही प्रथम बार भव्य जीवों के लिए धर्मोपदेश दिया था।राजनैतिक शासन केवल अपना स्वार्थ देखते हैं,उन्हें स्वयं की उन्नति से ही मतलब होता है पर भगवान महावीर स्वामी का शासन प्राणीमात्र के कल्याण की बात करता है उनके द्वारा सभी प्राणियों के हित के लिए ही जियो और जिने दो का सूत्र दिया।यह अहिंसा धर्म का प्रतिपाद करने वाला है,उनका शासन प्राणी मात्र को अभय प्रदान करना वाला है। जैसे शासन होता है देश की प्रजा भी वैसे ही कार्य करने वाली हो जाती है।जैसा शासक का भाव होता है वैसा ही प्रभाव जनता पर भी पड़ता है,यथा राजा तथा प्रजा यह कहावत लोक प्रसिद्ध है।लोकिक शासन मरते मरते नहीं छोड़ना चाहते हैं।तीर्थंकर भगवन्तों ने अपने तीर्थ का पालन सबको कोई डण्डे के जोर पर नहीं उनका अनुशासन स्वतः प्रेरणादायी भगवान महावीर स्वामी का शासन संसार में डूब रहे प्राणियों के लिए जहाज के समान है।कार्यक्रम के बाद सभी समाजजनों ने विश्व शांति महायज्ञ  हवन में बैठकर पूण्य अर्जित किया।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

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