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श्रीमद्भागवत कथा में भगवान के 24 अवतारों का वर्णन सुनकर भावुक हुए श्रद्धालु

सिंगोली(माधवीराजे)।सिंगोली- नीमच सड़क मार्ग पर स्थित ग्राम अथवां खुर्द के रामजानकी सराय प्रांगण में इन दिनों तीर्थ धाम जैसा नजारा दिख रहा है जहां विशाल पांडाल में दर्जनों गांवों के भक्तगण श्रीमदभागवत कथा ज्ञान गंगा का पाठ सुनने आ रहे हैं यहाँ सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित राजेश राजोरा जी महाराज की कथा सुनने सैकड़ो श्रद्धालु पहुँच रहे है।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र व भगवान के जयकारे लगातार लग रहे है।कथा के दौरान राधे राधे की गूंज पूरे इलाके में गूंज रही है।07 जनवरी रविवार को श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन पंडित राजेश राजोरा महाराज ने बताया कि आज धर्म ऐसे संकट में है कि इंसान भगवान को भी बांटकर अपना बंटवारा करने में लगा है।पंडित राजोरा ने बताया कि कथा जीवन परिवर्तन करने के लिए नहीं सिर्फ प्रभु के आनन्द को पाने के लिए है।जब कथा में बैठो तो तब सब कुछ प्रभु पर  छोड़ दो।चिंता इतनी करो कि उससे काम हो,इतनी नहीं कि जिंदगी ही तमाम हो जाये।मस्त रहिए हरिनाम में व्यस्त रहिए।पंडित राजोरा ने कथा के दौरान भगवान के 24 अवतारों आदिपुरुष,चार सनतकुमार,वराह नर-नारायण,कपिल,दत्तात्रेय,यज्ञ, ऋषभ,पृथु,मत्स्य,कच्छप,धन्वन्तरि, मोहिनी,नृसिंह,कृष्ण, बुद्ध और कल्कि का वर्णन किया।कलयुग के आरंभ में पांडव कुलभूषण राजा परीक्षित के तपस्यारत शमीक ऋषि के गले में सर्प डालने तथा ऋषि पुत्र के राजा को नाग द्वारा डसने की कथा सुनाई वहीं ऋषियों के परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने का भी वर्णन किया।पंडित राजोरा ने कथा में बताया कि दुनिया की हर चीज में मिलावट हो सकती लेकिन भगवान के नाम में मिलावट नहीं है।भगवान का नाम सदा शुद्ध है।इंसान को हर जगह धोखा हो सकता है मगर राम,कृष्ण और शिव नाम में कोई संशय नहीं है।जिस तरह औषधालय में औषधि मिलती है, वस्त्रालय में वस्त्र मिलते हैं इसी तरह संसार दुखालय है जहां दुख ही मिलता है।इंसान को असली सुख राम नाम में ही मिल सकता है।सत्संग से मन शुद्ध होता है।सत्संग से बदल जाती है जीवन की धारा।पंडित श्री राजोरा ने कहा कि संतो का सत्संग करने यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें कोई बीमारी नहीं आएगी,हमारा परिवार खुशहाल रहेगा या फिर हमारा व्यापार अच्छा चल जाएगा,यह तो प्रारब्ध होता है जो इस दुनिया में आया है उसे एक दिन जाना ही है,जब लाभ होता है तो हानि भी निश्चित होती है।सत्संग तो जीवन की धारा बदल देता है जिसमें आप ज्ञान और भक्ति की धारा में बहने लगते हैं।यहां पर भी कई बार लोग सत्संग करते हैं लेकिन उसका मूल नहीं समझ पाते जिससे जीवन पर्यंत सत्संग करने के बाद भी अंत में उनको कुछ भी हासिल नहीं होता है।श्रीमदभागवत कथा के बीच बीच में संगीतमय भजनों की प्रस्तुतियों पर महिलाएं बढ़चढ़कर नृत्य कर रही और पूरे कथा पंडाल में भगवान के जयकारे बुलंद हो रहे हैं।

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