सिंगोली(माधवीराजे)।प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार देना चाहिये।गर्भावस्था में माता पिता के आहार,विचार और व्यवहार का भी बच्चे पर प्रभाव पड़ता है। बच्चे संस्कारित होंगे तो समाज जागृत व राष्ट्र की उन्नति होगी। परम् पिता परमेश्वर की भक्ति से आत्म बल बढ़ता है और मनुष्य को परम आंनद की प्राप्ति होती है।सभी को जीवन में अच्छे कर्मों के साथ परोपकार करने चाहिए।यह उपदेश कथावाचक पंडित राजेश राजोरा ने दिये।वे 9 जनवरी मंगलवार को सिंगोली तहसील के ग्राम अथवां खुर्द स्थित राम जानकी सराय प्रांगण में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करा रहे थे।अथवां खुर्द के समस्त ग्रामवासियों के तत्वाधान में श्रीमदभागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसके चौथे दिन मंगलवार को कथा-व्यास पूज्य श्री पण्डित राजेश राजोरा महाराज ने ध्रुव चरित्र,भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार प्रसंग पर कथा सुनाई।श्री राजोरा ने बताया कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है।उन्होंने भगवत कीर्तन करने,ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया।भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर नाचने लगे।कथा-व्यास ने नृसिंह अवतार की कथा के वर्णन में बताया कि राजा हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझता था।प्रजा को भी वह उन्हें भगवान मानने के लिए दबाव डालता था लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु को ही भगवान मानता था।एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से पूछा कि तुम्हारा भगवान विष्णु कहाँ रहता है।प्रहलाद ने एक खम्बे की ओर इशारा करते हुए कहा कि मेरा भगवान हर जगह रहता है।आक्रोश में आकर हिरण्यकश्यप ने उस खम्बे को तोड़ने का प्रयास किया।खम्बे के भीतर से ही भगवान विष्णु नृसिंह अवतार में प्रकट हुए उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया।भगवान ने नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप को मार कर भक्त प्रह्लाद को बचाया।भगवान की भक्ति में ही शक्ति है।उन्होंने कहा कि सभी अपने बच्चों को बचपन से ही संस्कार अवश्य दें जिससे वह बुढ़ापे में भगवान का नाम अवश्य ले सकें,गो सेवा,साधु की सेवा कर सकें।कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।