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जल्सा-ए दस्तारबंदी कार्यक्रम सम्पन्न,बच्चों ने रंगारंग दीनियात प्रस्तुति की पेश।

नीमच। मदरसा दारुल उलूम इस्लामिया प्राइमरी स्कूल स्कीम नंबर 9 में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष अनुसार इस बार भी सालाना आयोजन किया गया। तथा 10 बच्चों द्वारा कुरान कंठष्ट कर हाफिज बनने पर जल्सा-ए दस्तारबंदी का कार्यक्रम आयोजित हुवा। इस मौके पर बच्चों के द्वारा नबी की सुन्नत के तरीके को विस्तार से बताते हुए बच्चों ने दीनियात संबंधित मदरसे के इन नन्हें -मुन्ने बच्चों ने आधुनिक समाज की कई विसंगतियों पर व्यंग करती रंगारंग रोचक व प्रभावकारी लघु नाटिकाओं वाद-विवाद,भाषण प्रतियोगिताओं के माध्यम से रंगारंग प्रस्तुतियां देकर दाद बटोरीं। अब्दुल कलाम,झांसी की रानी,चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी आदि देश भक्तों का आजादी में चरित्र कार्यक्रम पेश किया। कार्यक्रम में 50 से अधिक बच्चों ने हम्द, नात ए नबी सअब,तकरीर और सवालों जवाब से उपस्थितों की दाद बटोरी। सलाउद्दीन रातिन दिल्ली ने तिलावत-ए-कलाम पाक से कार्यक्रम की शुरुआत की। अक्शानुर,अलीना ने हम्द बारी तआला और ने नात शरीफ पेश की। वहीं बालक-बालिकाओं के समूह ने मनकबत पेश किए। इस दौरान बच्चों ने पानी पीने, खाने और वुजू के आदाब व सुन्नात बताई। वहीं जुनैद, सानिया,रुकैयाबी ने रसूल पर पेश की गई तकरीर की खूब सराहना हुई। और वजीर ने की दिलकश आवाज ने गणतंत्र दिवस के परिपेक्ष में जायरीनों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान समाज सदर ने बच्चों की हौसला आफजाई की। हजरत मुफ्ती अहमद खान सदर जमीयत उलेमा-ए-हिंद भोपाल ने कहा कि देश की आजादी के 75 सालों में जिंदगी के हर क्षेत्र में तरक्की की है। लेकिन सामाजिक तौर पर जो एकता एवं समरस्ता होना चाहिए उसमें हम बहुत पीछे हैं। जरूर इस बात की है की जोड़ने की बात की जाए ना ही बिखराव की।मुल्क आज अपने नाजुक दूर से गुजर रहा है। कछ विद्यटन ताकतें राजनीती स्वथों के चलते वशीभूत कोम को बिखराव की तरफ धकेल रही है। ऐसा करके वे जाने अनजाने में वैश्विक नव साम्राज्यवादी ताकतें अपने मांसूबों को पूरा करने में लगी है जो देश को विकसित और समृद्ध नहीं देखना चाहते हैं। हमें समाज को जोड़ने वाली तकतो को संगठित कर इन नापाक मंसूबों को नाकाम बनाना है।मुफ्ती नौशाद नूरी सहारनपुर ने कहा की इस्लाम मजहब का सारा जोर आचरण के सुधार पर दिया गया है इस्लाम में पड़ोसी के प्रति कर्तव्य निष्ठा बनी रहे चाहे वहां किसी भी समुदाय से ताल्लुक रखता हो। मुफ्ती अशरफ सा. महिदपुर ने तालीम की अहमियत को उजागर करते हुए कहा की इस्लाम में सबसे ज्यादा पढ़ने पर जोर दिया गया है। कुरान की पहली आयत में ही तालीम पर है। इस्लाम दीनी व दुनियावी तालीम को अलग-अलग खानों में नहीं बंटता बल्कि इल्म एक व्यापक शब्द है जो अपने अंदर सभी तरह के विज्ञान को समाएं हुए हैं। कार्यक्रम से बच्चों का मनोबल बढ़ता है। बचपन में सीखी हुई बातें हमेशा याद रहती हैं। इस दौरान उलमा ए कराम हजरत मौलाना कारी कारी सा. उज्जैन, हजरत मौलाना व मुफ्ती नुरी सा.कस्मी सहारनपुर उ. प्र, हजरत मौलाना रशीउद्दीन सा भोपाल,हजरात मौलाना मुबशशीर सा.शिमाली देहली विशेष रूप से मौजूद थे। मौलाना रशीदुद्दीन सा व मौलाना सबीर साहब मुफ्ती नुरी सा.ने कार्यक्रम के प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर सदर असलम कुरैशी, अबरार बैग,शकील खान, मुस्तकीम भाई, मुमताज भाई, सदर सलीम खान एडवोकेट गुलाम यजदानी, जावेद दुर्रानी,अजहर खान,छोटे भाई कुरैशी,याकूब भाई,इलियास भाई कुरैशी हाजी साबिर मसूदी,जाकिर हुसैन,असलम भाई बाबर उपस्थित थे। संचालन मौलाना मूवशीर राशिदी ने किया।उक्त जानकारी मदरसे के खादिम मोहम्मद इमामुद्दीन रहमानी ने दी है ।

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