सिंगोली(माधवीराजे)।क्षेत्र में अफीम की फसल के पौधों में फूल खिल गए हैं कुछ दिनों के बाद वे डोडे के रूप में परिवर्तित हो जाएंगे उसके बाद में किसान अफीम की लूरणी चिरनी शुरू करेंगे उसमें भी परफेक्ट(कुशल) मजदूरों को आखरी चिराई व लुवाई तक के हजारों रुपए किसानों को देना पड़ते हैं।अफीम डोडे पर चीरे व लुवाई से पूर्व किसान अपनी अफीम की फसल को अपने बच्चों की तरह उसका पालन पोषण के साथ बड़ा करते हैं जिसमें किसान को काफी मेहनत लगती है।सर्वप्रथम तो हँकाई-जुताई उसके बाद में फिर बुवाई एवं निंदाई-खुदाई,खाद-बीज पानी पिलाना और उसकी रखवाली करना यह सबसे बड़ा किसानों के लिए एक जंग की तरह उसकी रखवाली करना पड़ती है विशेषकर जंगली जानवरों जिसमें नीलगाय,बन्दर एवं तोते से बचाव के लिए अफीम के खेत के चारों तरफ लोहे की जाली लगानी पड़ती है।उक्त संसाधनों में किसानों को काफी खर्च आता है।लगभग 10 आरी के खेत में 25 हजार तो जाली लगाने में ही पूरे हो जाते हैं और फिर उन प्रत्येक पौधों को रस्सी से बांधा जाता है ताकि वह नीचे नहीं झुके।किसान अफीम के पौधे को सुरक्षित बनाये रखने के लिए हजारों रुपए खर्च करते हैं,खर्च के बावजूद अफीम की फसल के लिए किसान अपने दिन-रात मेहनत करते हैं,रात-रात जागते हैं रोशनी करते हैं और सीसीटीवी कैमरे तक लगाना पड़ते हैं ताकि कोई चोर डोडे न चुरा ले।जंगली जानवर व तस्कर चोरों से अफीम किसान बहुत चिंतित रहते हैं। अफीम पौधे की सुरक्षा की दृष्टि से रात दिन अपने खेत पर अस्थाई आशियाना बनाकर रखवाली करते हैं तो फिर सरकार को भी अफीम को अच्छे भाव से लेना चाहिए कम से कम 1 किलो अफीम के 25 हजार रुपए देना चाहिए।सरकार को अफीम तोल के साथ ही डोडाचूरा निकलता है उस डोडाचूरा को ऊंचे दाम में सरकार को खरीदना चाहिए ताकि बाद में यह एनडीपीसी एक्ट के जो मामले बनते हैं उसमें निर्दोष किसान न उलझे एवं वे आराम की नींद निकाल सके।सरकार द्वारा डोडाचुरा नहीं खरीदने से भी बहुत ईमानदार किसान भी पीस जाते हैं तब उनको भी मुलजिम बनाया जाता है।जब किसी तस्कर से अफीम या डोडेचूरा की तस्करी करते हुए पकड़े जाते हैं तो फिर वह तस्कर भी किसानों के नाम बता देते हैं जिससे निर्दोष किसान भी परेशान हो जाते हैं व लाखों रुपए का नुकसान फिर वे उठाते हैं औऱ किसान के ऊपर केस भी दर्ज हो जाता है उससे जमानत तक नहीं मिलती है और सजा भी हो जाती है इसलिए सरकार को चाहिए कि वह अफीम और डोडाचूरा दोनों साथ में ले ले ताकि किसान निश्चित हो जाए और उसके बाद अगर कोई किसान दो नंबर में रखता है तो फिर उस किसान के ऊपर पुलिस या नारकोटिक्स कार्रवाई करती है तो यह किसान की जवाबदारी होती है और उसका फल उसको भुगतना पड़ता है।