सिंगोली(निखिल रजनाती)।भगवान विश्वकर्मा के प्राकट्योत्सव पर विश्वकर्मा जांगिड़ ब्राह्मण समाज द्वारा गुरूवार सुबह 11 बजे बजरंग व्यायाम शाला परिसर में एकत्रित होकर सभी समाजजनों का मिलन समारोह हुआ एवं अलग-अलग वर्ग की कक्षाओं में अच्छे अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं एवं समाज के बुजुर्गों का सम्मान किया गया तत्पश्चात बैंडबाजों के साथ विश्वकर्मा जी की प्रतिमा को रथ में विराजित कर चल समारोह निकाला गया जो पेट्रोल पंप, तिलस्वां चौराहा,पुराना बस स्टैंड,बापू बाजार होते हुए नाचते गाते हुए नगर में भ्रमण कर पुनः बजरंग व्यायामशाला पहुंचा जहाँ समाजजनों का सामूहिक स्नेहभोज हुआ।चल समारोह में महिला,पुरुष व बच्चे सम्मिलित रहे।वैसे तो सनातन हिंदू धर्म में प्रत्येक माह व दिन बहुत ही खास होते हैं और माघ माह की त्रयोदशी तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसी दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है और भगवान विश्वकर्मा का पूजन किया जाता है।हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार थे और जब सृष्टि का निर्माण किया गया तब उन्हें ब्रह्माण्ड के शिल्प का कार्य दिया गया था इसलिए भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्माण्ड के प्रथम इंजीनियर के रूप में पूजा जाता है।भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान शिव के त्रिशूल,भगवान विष्णु के सूदर्शन चक्र और द्वारिका नगरी में भगवान श्री कृष्ण के महल का भी निर्माण किया था।विश्वकर्मा जयंती का बड़ा ही धार्मिक महत्व है।हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।पंचांग के अनुसार इस साल उदयातिथि के अनुसार विश्वकर्मा जयंती 22 फरवरी 2024, गुरुवार को हर्ष और उल्लास से मनाई गई।हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा बहुत ही महत्व रखती है विशेष तौर पर शिल्पकार और इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा का पूजन अवश्य करते हैं।यह दिन मजदूर, बढ़ई,वास्तुकार,मूर्तिकार और कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए बहुत ही खास होता है।विश्वकर्मा जयंती के दिन वह अपने पूज्यनीय भगवान विश्वकर्मा की पूजन करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि उन्हें व्यवसाय और कार्य में सफलता प्राप्त हो।