नीमच। प्रांतीय जन स्वास्थ्य रक्षक कल्याण संगठन ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपा जिसमें बताया गया कि अप्रैल 1994 के संविधान के 73वें संशोधन में त्रिस्तरीय पंचायत राज्य अधिनियम की संरचना की गई तथा महामहिम राष्ट्रपति की अनुशंसा के बाद इसे लागू किया गया जिसमें स्थानीय लोगों की प्राथमिकता देते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत प्रस्ताव के माध्यम से पंचायत कर्मी,शिक्षाकर्मी तथा ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक उपचार करने तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में विशेष सहयोग देने के लिए जन स्वास्थ्य रक्षकों को नियुक्त किया गया। म.प्र. शासन द्वारा शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पी.एस.सी. सेंटरों पर 6 माह की ट्रेनिंग दी गई तथा ट्रेनिंग के साथ 500/- पांच सौ रूपये प्रतिमाह के हिसाब से 3000/-तीन हजार रूपये मानदेय दिया गया।ट्रेनिंग के बाद राज्य स्तरीय परीक्षा ली गई,राज्य स्तरीय परीक्षा में उत्तीर्ण जन स्वास्थ्य रक्षक का सी.एच.एम.ओ. के यहां पंजीयनकिया गया,पंजीकृत जन स्वास्थ्य रक्षक को पंजीकृत प्रमाण पत्र जन स्वास्थ्य रक्षक क्लिनिक लिखा हुआ बोर्ड, टूल्स किट,वेटिंग मशीन तथा मलेरिया स्लाइड बनाने की सामग्री, थर्मामीटर तथा (16) सोलह प्रकार की एलोपैथिक मेडिसिन के साथ आयुर्वेदिक तथा होम्योपैथिक मेडिसिन से प्राथमिक उपचार करने का अधिकार दिया गया,जन स्वास्थ्य क्लिनिक को सुचारू रूप से चलाने के लिए ट्राइसेन योजना के अंतर्गत 50000/- पचास हजार रूपये का लोन दिया गया।परंतु वर्तमान आदेश के कारण हमें परेशान किया जाकर झोला छाप की उपाधि दी जा रही है।ज्ञापन में मांग की गई है कि हम सभी नीमच जिले के जन स्वास्थ्य रक्षकों को परेशान नहीं किया जावे क्योंकि हम स्वास्थ्य विभाग के ही अंग हैं।