नीमच।शनिवार को शानिमास्या के अवसर पर शहर के सभी शनि मन्दिरो पर दिनभर पूजा अर्चना का दौर चलता रहा, शनि अमावस्या को लेकर मंदिर पर भगवान का विशेष श्रंगार किया गया तो देर श्याम महाआरती के बाद प्रसादी वितरण किया गया इसबार शनिवार को साल का पहला सूर्यग्रहण ओर शनि अमावस्या का योग भी बना है शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या या शनिचरी अमावस्या भी कहा जाता है। ज्योतिष के दृष्टिकोण से सूर्यग्रहण और शनि अमावस्या का एक ही दिन पड़ना बेहद शुभ माना जा रहा है। यह संयोग इसबार कई साल बाद बना है इस संयोग का सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा।हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि 30 अप्रैल शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे शनि अमावस्या या शनिश्वरी अमावस्या भी कहते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से इस अमावस्या का बहुत महत्व होता है। यह दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ है। नवग्रहों में शनि को न्यायाधिपति माना गया है,वे मनुष्यों को उनके कर्मानुसार फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष में शनि की दृष्टि एवं चाल बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है,इनकी दृष्टि अनिष्टकारक मानी गई है और शनि की चाल बहुत धीमी है। ये एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई वर्ष का समय लेते हैं।इसके बारे में हमारे ग्रंथों में इन कथाओं का वर्णन है