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आदिगुरू शंकराचार्य का दर्शन जगत की सर्वोच्च सांस्कृतिक विरासत- श्री श्री 1008 आनंद गिरी जी महाराज

जावरा -आदि गुरु शंकराचार्य नें सत्य की खोज की। सत्य वह जो सास्वत है और व्यक्ति को उत्कर्ष का दिग्दर्शन कराते हुये लोकजीवन का मार्गदर्शन करता है। भारतीय हिन्दुत्व की धारा के प्राणतत्व, असाधारण प्रतिभा के धनी आदिगुरू शंकराचार्य नें सात वर्ष की अल्प आयु में ही वेदों के अध्ययन मनन में पारंगतता हासिल करके लुप्तप्राय सनातन धर्म की पुर्नःस्थापना कीउक्त विचार श्री श्री 1008 आनंद गिरी जी महाराज ने जनअभियान परिषद  द्वारा  आयोजित आदि शंकराचार्य जी जन्मजयंती सप्ताह के तहत व्यख्यान माला में भगतसिंह कॉलेज में कहे  श्री श्री108 योगेश नाथ जी महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने जन कल्याणकारी आदर्शो और जीवनमूल्यों का व्यापकता से साथ प्रचार-प्रसार किया। भारत के चारो कोनों में शंकराचार्य ने मठों की स्थापना, चारो कुंभों की व्यवस्था, वेदांत दर्शन के माध्यम से शाश्वत जागरण के साथ दशनामी एवं सन्यासी अखाड़ों की स्थापना के साथ पंचदेव पूजा प्रतिपादन उनकी ही देन है।ब्रह्माकुमारी संस्था की ब्रह्माकुमारी  सावित्री दीदी ने कहा कि आदि शंकराचार्य जी ने अथक प्रयास से भारतीय समाज को एकता के सूत्र में पिरो कर भारतीय सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण कर मानव कल्याण हेतु अद्भुत योगदान दिया। इस अवसर पर वनवासी कल्याण परिषद के कमलेश शर्मा,समाजसेवी एव अतिथि अभय कोठारी ने भी व्याख्यान माला में अपने विचार रखे ।जिलासमन्यक रत्नेश विजयवर्गीय द्वारा स्वागत भाषण दिया गया,प्रो.विद्या तिवारी ने भी संबोधित किया।  शुभारम्भ आदिगुरू शंकराचार्य एवं मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कर्यक्रम में पधारे संतो का सम्मान शाल श्रीफल भेंट कर किया गया व्यख्यान माला में मधुसूधन पाटीदार, युवराज रानावत,लोकेश शर्मा,राजेश बरुआ, मनोज मेहता,दिनेश बैरागी,विशाल शर्मा,दीपेंद्र सिंह राठौर,पायल रारोतिया,संगीता शर्मा,पूजा पाटीदार,अनिता वाढेल आदि उपस्थित थे कार्यक्रम में सरोज वेलफेयर सोसाइटी का भी सहयोग प्राप्त हुआ। श्री गिरी जी महाराज ने सभी को रूद्राक्ष प्रदान किये । कर्यक्रम का संचालन अर्पित शिकारी ने किया आभार विकासखण्ड समन्यक युवराज सिंह पंवार ने माना

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