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 चातुर्मास परिवर्तन व शत्रुंजय की भाव यात्रा की सकल जैन समाज ने

कुकड़ेश्वर--कुकड़ेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ धाम पर जैन मुर्ति पुजक संघ के चातुर्मास में वर्षावास हेतु विराजित साध्वीवर्याओं का चातुर्मास परिवर्तन प्रातः 9 बजे जैन उपाश्रय कुकड़ेश्वर से ढोल ढमाको के साथ सकल जैन समाज की उपस्थिति में हुआ आप के साथ समाज जन जुलुस के रूप में परिवर्तन स्थल सागरमल शोभागमल पटवा निवास पंहुचा जहाँ पर सभी साध्वीवर्याओं के पगलिये हुए व पटवा परिवार द्वारा कामली वैराने का लाभ लिया इस अवसर पर शत्रुंजय तीर्थ की भाव यात्रा अवसर पर विराजित साध्वीवर्याओं श्री सोम्यरसा श्री जी, हितज्ञा श्री जी, कल्परत्ना श्री जी, कल्पगिरा श्री जी, कल्पहिता श्री जी ने सकलाय संघ को विधी पुर्वक भाव यात्रा करवायी व आज तीर्थ भाव यात्रा क्यों करते इस का महत्व बताया
शत्रुंजय गिरिराज की महिमा मेरु समान है।  श्री शत्रुंजय महातीर्थ के जितने गुणगान किये जाएँ वे कम है। चोदह राजलोक मे ऐसा एक भी तीर्थ नहीं है जिसकी तुलना शत्रुंजय तीर्थ से कर सके। वर्तमान मे भरतक्षेत्र मे तिर्थंकर परमात्म नहीं है, केवलज्ञानी भगवंत भी नहीं है, ना ही कोई विशिष्ट ज्ञानी है, फिर भी महाविदेह क्षेत्र की पुण्यशाली आत्मा भी भरत क्षेत्र के मानव को परम सोभाग्यशाली मानते है, क्यों की उसका एक मात्र कारण इस शाक्ष्वत तीर्थ का भरत क्षेत्र मे होना है। हम कितने भाग्यशाली है की हमे यह शाश्वत तीर्थ मिला है। हमे इस तीर्थ की बारम्बार यात्रा करनी चाहिए।शाश्वत तीर्थ शत्रुंजय गिरिराज पालीताणा की महिमा अपार है व कुकड़ेश्वर तीर्थ स्थल पर रह कर हम भाव यात्रा कर रहे हैं इस अवसर पर पटवा परिवार ने प्रभावना व भाता का लाभ लिया व सकल जैन समाज का स्वामिवात्सल्य संघ द्वारा रखा गया

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