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जहाँ तुलसी का वन वहीं वृन्दावन  -पं. गोपी शास्त्री


सिंगोली।भगवान भाव के भूखे होते हैं मन जितना निर्मल और पावन होगा उतना ही ईश्वर का हमें आशीर्वाद मिलता रहेगा।माया जब तक मन में रहेगी तब तक हरि से हमारी दूरियां बनी रहेगी। उक्त आशय की बात सिंगोली में 9 तारीख से बजरंग व्यायाम शाला परिसर में चल रही भागवत कथा में वृन्दावन के पंडित गोपीजी शास्त्री ने बताई।भगवान श्रीकृष्ण ने इस धरा पर अनेक लीलाएं की है और उन्होंने सभी को एक संदेश भी दिया है दुख में कभी घबराना नहीं चाहिए एवं भगवान को दिल से याद करो वह दौड़े दौड़े चले आते है जहाँ तुलसी का वन वही वृंदावन है।गोवर्धन की परिक्रमा करने से अनेक जन्मों जन्मों के पाप धुल जाते हैं इसलिए हमें एक बार गोवर्धन की परिक्रमा जरूर करना चाहिए।शास्त्री जी ने बताया कि भगवान कृष्ण को जब भी पुकारो मन से पुकारो वे आपकी ओर चले आएंगे।भगवान को माया नहीं मन चाहिए,भाव चाहिए क्योंकि वे भाव के भूखे हैं हरि को पाना है तो हरि के मार्ग पर चलना पड़ेगा  तभी हमारा यह मनुष्य जीवन सार्थक हो सकेगा।भागवतकथा प्रतिदिन दोपहर 12 से 4 बजे तक चल रही है जिसका विश्राम दिनांक 15 जून को होगा।भागवत कथा श्रवण करने के लिए नगर के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी भक्त जन आ रहे हैं और कथा का रसपान कर रहे हैं।

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