क्या निर्दलीय प्रत्याशी बढ़ाएँगे 9 वार्डों में दोनों पार्टियों की मुसीबतें
सिंगोली।नगर निकाय चुनावों में 13 जुलाई बुधवार को सम्पन्न हुए मतदान के बाद सिंगोली नगर परिषद के सभी 15 वार्डों में उमीदवारों की हार-जीत को लेकर अब कयास लगाए जाने लगे हैं।हाँलांकि पूरी स्थिति तो 20 जुलाई बुधवार को होने वाली मतगणना के पश्चात ही स्पष्ट हो सकेगी लेकिन इतना तो तय है कि चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।यहाँ यह तो साफ है कि नगर के 15 में से 6 वार्डों में जहाँ दो-दो प्रत्याशी होने की वजह से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर थी जबकि परिषद के 9 वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बागियों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों की मुसीबतें बढ़ा दी जिससे कई नेताओं की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है।पिछले अर्थात 2014 में सम्पन्न हुए चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो उनमें प्रत्यक्ष प्रणाली से जनता द्वारा भाजपा की सुनीता मेहता अध्यक्ष निर्वाचित हुई जबकि 9 वार्डों में भाजपा,3 वार्डों में कांग्रेस एवं 3 वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी पार्षद निर्वाचित हुए और परिषद में भाजपा का स्पष्ट बहुमत होने व कांग्रेस के मात्र 3 पार्षद होने के बाद भी उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था वहीं 2022 में सम्पन्न हुए इस चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनावी मैदान में रहकर भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के सामने चुनौतियाँ खड़ी की जिससे कई वार्डों में भाजपा के नेताओं की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है क्योंकि इन चुनावों के बाद नगर परिषद का अध्यक्ष भी पार्षदों में से ही चुना जाएगा।इन चुनावों में प्रमुख रूप से जो सबसे चर्चित वार्ड 12 नम्बर है जहाँ से भाजपा के जिला महामंत्री अशोक सोनी विक्रम भाजपा के उम्मीदवार है लेकिन उन्हें अपने ही घर में भाजपा के बागी कमल शर्मा का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सामना करना पड़ा तो वार्ड नं 2 में सिंगोली भाजपा मण्डल के उपाध्यक्ष मोतीलाल धाकड़ को भी भाजपा से ही बगावत करके भाजपा पिछड़ा प्रकोष्ठ के मण्डल अध्यक्ष शंभूलाल सुतार और भाजपा कार्यकर्ता नीलेश लबाना ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में परेशानी खड़ी की हाँलाकि इस वार्ड में नीलेश लबाना द्वारा ऐनवक्त पर भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की गई थी तो वार्ड नं.5 में सर्वाधिक 6 उम्मीदवार हैं जहाँ से सिंगोली भाजपा नगर अध्यक्ष सुरेश जैन(भाया बगडा)के सामने भी अपनी ही पार्टी के बागी बनकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में रहे भाजपा के पूर्व पार्षद श्यामलाल धाकड़,अब तक भाजपा के लिए निष्ठावान रहे मैदानी कार्यकर्ता ओमप्रकाश पाराशर,रमेश धाकड़ एवं आम आदमी पार्टी के एक मात्र प्रत्याशी दीपक लसोड़ ने चुनौती देने की कोशिश की वहीं वार्ड नं. 6 से भाजपा मण्डल मन्त्री सुनील सोनी के रास्ते में दिक्कतें खड़ी करते हुए भाजयुमो नगर अध्यक्ष बाबू गूजर एवं भाजपा समर्थित राधेश्याम तेली भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी अखाड़े में थे लेकिन यहाँ मतदान से कई दिनों पहले बाबू गुजर द्वारा भी भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की गई जबकि नगर परिषद के एक और चर्चित वार्ड नं. 7 जहाँ से पूर्व नप अध्यक्ष एवं भाजपा जिला मन्त्री सुनीता मेहता भाजपा प्रत्याशी के रूप में दूसरी बार पार्षद पद का चुनाव लड़ रही है और यहाँ केवल दो ही प्रत्याशी हैं जिनमें कांग्रेस की सुशीला-सत्यनारायण विश्नोई पूर्व अध्यक्ष श्रीमती मेहता को चुनाव परिणाम के दौरान कड़ी टक्कर दे सकती है।इसी तरह वार्ड नं.9 में सिंगोली नगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष निशान्त जोशी के सामने भी भाजयुमो पदाधिकारी आशुतोष तिवारी और पार्टी के ही एक और अशोक शर्मा ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में डटे रहकर राह में मुश्किलें पैदा करने के प्रयास किए लेकिन इस वार्ड में चुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी अशोक शर्मा तो पूरी तरह से खामोश रहे और मतदाताओं के बीच भी नहीं गए।कमोबेश यही हालात कांग्रेस के भी दिखाई दे रहे हैं जिसके चलते वार्ड नं 1,2,8 और 15 में कांग्रेस के बागियों ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी जिसके चलते वार्ड नं.1 में कांग्रेस के दो बागी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सुविधा जैन एवं फरीदा बी कांग्रेस को ही नुकसान पहुँचाने वाले साबित हो सकते हैं जबकि वार्ड नं. 8 में नगर कांग्रेस अध्यक्ष जमील मेव की राह भी आसान नहीं रहने वाली है क्योंकि इन्हें भी कांग्रेस समर्थित निसार पठान और अकरम ठेकेदार दोनों निर्दलीयों से कड़ी चुनौती मिली जबकि वार्ड 10 नं. में निर्दलीय उम्मीदवार सीमा जंगम ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया इसी तरह वार्ड नं.15 में भी कांग्रेस के दो बागी शम्मा बी और साहेबा बी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी ही पार्टी के परंपरागत वोटों का बंटवारा करवाकर कांग्रेस को ही नुकसान पहुँचा सकते हैं।इस प्रकार इस छोटे चुनाव में दोनों पार्टियों में हुई बड़ी बगावत के कारण जहाँ भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही निर्दलीयों को अपनी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया लेकिन चुनाव में मिलने वाली हार-जीत के बाद ही नेताओं का राजनीतिक भविष्य तय होगा।