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गणेशोत्सव जैसे आयोजन एकता के सूत्र में बाँधते हैं -श्री जोशी 

ग्रामीण क्षेत्र में भी मची है उत्सव की धूम 


सिंगोली(निखिल रजनाती)।हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति दुनिया की श्रेष्ठ है और यहाँ के त्यौहारों के अवसर पर बरसों पुरानी सामाजिक एवं आध्यात्मिक परम्पराएँ निभाई जाती है जिसमें गणेशोत्सव जैसे आयोजन हम सबको एकता के सूत्र में बाँधते हैं।उक्त आशय के विचार सांसद प्रतिनिधि निशान्त जोशी ने व्यक्त किए।वे 07 सितम्बर बुधवार को सिंगोली तहसील के ग्राम शहनातलाई में आयोजित 10 दिवसीय गणपति महोत्सव के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में ग्रामीणों को सम्बोधित कर रहे थे।उन्होंने बताया कि  क्या आप जानते हैं कि गणपतिजी को जल में ही क्यों विसर्जित किया जाता है ?गणेश महोत्सव का आखिरी दिन गणेश विसर्जन की परंपरा है 10 दिवसीय महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के बाद होता है यही परंपरा है कि विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति का नदी,समुद्र या जल में विसर्जित करते हैं।इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।श्री जोशी ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि श्री वेदव्यासजी से सुनकर गणपतिजी ने गणेश चतुर्थी के दिन से महाभारत की कथा लिखना शुरू की थी इस दौरान लगातार 10 दिनों तक  लिखने से गणेशजी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ गया था जिससे गणेशजी के शरीर को ठंडा करने के लिए जल में डुबकी लगवाई तब से ही यह मान्‍यता है कि 10 वें दिन गणेशजी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन जल में किया जाता है।इस मौके पर सिंगोली नगर परिषद के नव निर्वाचित पार्षदपति गोपाल सुतार ने भी ग्रामीणों को गणपति महोत्सव पर शानदार आयोजन में मनमोहक प्रस्तुतियों के लिए आयोजकों को बहुत बधाई दी।इससे पहले शहनातलाई में गणपति उत्सव समिति द्वारा सांसद प्रतिनिधि निशांत जोशी एवं पार्षदपति गोपाल सुतार  का आत्मीय स्वागत सत्कार किया गया।

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