सिंगोली (निखिल रजनाती) । श्री कुंद कुंद कहान दिगम्बर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट के आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सिंगोली में दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन 09 सितम्बर शुक्रवार को महती धर्मसभा को संबोधित करते हुए त्यागीजी श्रीचंद्रसेनजी ने कहा कि ब्रह्म स्वरुप आत्मा में रमण करने का नाम उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है,जब इस आत्मा का श्रद्धान और ज्ञान सम्यक होते हैं तो अव्रतसम्यकदृष्टि सामान्य ग्रहस्थ के ज्ञान,श्रद्धान में अणु मात्र परिग्रह से मेरा सम्बन्ध नहीं है वह ऐसा मानता है तो भी वह कमजोरी वश परिग्रह का त्याग नहीं कर पाता परन्तु परिणामों में सदैव अपरिग्रही होने की भावना रखता है।स्थुल रुप में श्रावक की ग्यारह श्रेणी है जिसका प्रतिमा नाम है।नवमी प्रतिमा में परिग्रह त्याग और दसवीं प्रतिमा अनुमति त्याग है,पूर्ण आकिंचन्य धर्म के धारी तो भावलिंगी मुनिराज होते हैं उनके जीवन में बाह्य धन,धान,हिरण्य,स्वर्ण, मकान, श्रेत्र आदि दस परिग्रह और अंतरंग में मिथ्यात्व क्रोध,मान,माया,लोभादि चौदह परिग्रह हैं।ऐसे परिग्रह चौबीस भेद त्याग करें मुनिराज जी ऐसे मुनिराज आकिंचन्य धर्म के धारक निज आत्मस्वभाव में रत रहते हुए अतिईन्द्रिय,अविछिन्न सुख का भोग करते हैं।अंत में त्यागी जी ने क्षमावाणी पर्व पर विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वस्तु स्वरुप का विचार करने पर कषाय शांत होती है जगत में जो कुछ घटित होता हैं उसमें यह अच्छा है,यह बुरा है,ऐसी कल्पना कर यह अज्ञानी आत्मा राग द्वेष करता रहता है।जो आपके अनुकूल है,उसको बनाये रखना चाहता है और जो प्रतिकूल है, उन्हें हटाना चाहते हैं परन्तु ब्राह्य संयोग तो उदयाधीन है जो हमने पूर्व कर्म किए हैं उसका उदय है।हमारे जीवन में जो घटित होता है उसके जिम्मेदार हम स्वयं ही है। महापुरुषों के जीवन में भी अनेक विपरीतता देखीं जाती है ऐसा विचार करने पर सहज ही सबसे क्षमा करने का और क्षमा मांगने का भाव बनता है यह तत्व निर्णय पूर्वक उत्तम क्षमावाणी है अन्यथा परम्परागत तरीके से मनाया जाना तो औपचारिक है।राहुल भैया रानीपुर द्वारा प्रातःअनुभव कैसे करें,रात्रि में पद्मपुराण के आधार पर रामचरित्र का स्वाध्याय किया गया।भैयाजी द्वारा भी क्षमावाणी पर्व पर प्रकाश डाला गया।क्षमावाणी कार्यक्रम में सुरजमल ठोला पुष्पचंद धानोत्या हरकचंद मोहीवाल,सुरजमल मोहीवाल विमल ठोला,नवीन धानोत्या ने अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम का संचालन राजेश धानोत्या ने किया।