श्रद्धा और भक्ति से माँगी गई हर मुराद पूरी करती है आवरीमाता
आवरी माता मन्दिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसर तहसील के आसावरा गांव में स्थित है।आसावरा गांव पहाड़ियों और झरनों वाले क्षेत्र में स्थित है। इसमें एक तालाब और हनुमानजी का एक मंदिर है।परंपरागत रूप से यहाँ पक्षाघात और पोलियो के इलाज के लिए रोगी आते हैं और निरोग होकर जाते हैं।मंदिर देवी आवरी माता को समर्पित है जहाँ श्रद्धा और भक्ति से माँगी गई हर मुराद पूरी करती है आवरी माता।ऐसा माना जाता है कि मंदिर में लोगों को ठीक करने की विशेष शक्तियाँ हैं और भक्त कई बीमारियों से खुद को ठीक करने के लिए इस मंदिर में आते हैं जो पुरानी और वर्षों से लाइलाज बनी हुई हैं।कई लोग हैं जो अपने परिवार के साथ आते हैं तथा रोग निवारण को लेकर लोगों की आस्था बनी हुई है।आवरी माता का मन्दिर चित्तौड़गढ से 40 किलोमीटर की दूरी पर आसारावा गांव में स्थित है।माना जाता है कि यह मंदिर 750 वर्ष से अधिक पुराना है।यह मंदिर एक तालाब के पास स्थित है और यहाँ पर भगवान हनुमानजी की एक सुंदर मूर्ति है।माता की मूर्ति मंदिर के मुख्य मध्य भाग में स्थित है तथा मूर्ति को सुन्दर एवं खुशबू वाले फूलों और सोने के गहने के साथ सजाया जाता है।ऐसा माना जाता है कि भदेसर गांव जमींदार का नाम आवाजी था।आवाजी के सात पुत्र व एक पुत्री थी। आवाजी ने अपने पुत्रों से अपनी पुत्री केसर के लिए सुयोग्य वर देखने के लिए कहा।सातों भाईयों ने अलग-अलग जगह विवाह तय कर दिया।केसर ने अपनी कुलदेवी की आराधना की और इस समस्या को ठीक करने का आग्रह किया।विवाह के दिन धरती फटी केसर उसमें समा गई।पुत्री को धरती में समाते हुए पिता ने अपनी पुत्री का पल्लू पकड लिया इससे नाराज केसर ने अपने पिता को श्राप दे दिया था।आवाजी ने श्राप मुक्ति के लिए मंदिर का निर्माण करवाया जो आज आवरी माता के नाम से जाना जाता है।आवरी माता मंदिर की विशेषता यह है कि माना जाता है पोलिया व पक्षाघात रोगी द्वारा इस मंदिर में पूजा अर्चना करने से ठीक हो जाते है और शरीर का जो अंग बीमारी से ठीक होता है उस अंग के जैसा सोने व चांदी का अंग बनाकर माता को अर्पण किया जाता है।भक्त आवरी माता की दैनिक आरती में भाग लेते हैं जो पवित्र आरती देखने के लिए भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं।आवरी माता मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा,नवरात्र और हनुमान जयंती के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।इस दिन मंदिर को फूलों व लाईट से सजाया जाता है।मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।आवरी माता पहुँचने के लिए उदयपुर सम्भाग के सभी जिला मुख्यालयों से बस सेवा उपलब्ध है।(संकलनकर्ता - शंकरगिर रजनाती)