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सदगुणों के विकास से मिलती है आध्यात्मिक ऊंचाइयां : आचार्य श्री रामेश 

कुकड़ेश्वर-- हुकमेश संघ के नवम् पटृधर ब्यावर का ऐतिहासिक चातुर्मास संपन्न कर युग निर्माता महान अध्यात्म योगी व्यसन मुक्ति के प्रणेता आचार्य श्री रामलाल जी म.सा. एवं उपाध्याय प्रवर श्रद्धेय श्री राजेश मुनि जी महाराज आदि संत महापुरुषों का  विचरण प्रांरभ हुआ आप का  मंगल प्रवेश खरवा में जयकारों के साथ हुआ । उक्त अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री रामेश ने कहा कि विचारों का प्रभाव सारे ग्रंथियों पर पड़ता है हमारे जैसे विचार होते हैं वैसे ही जीवन की दिशा होती है । पवित्रता वाले विचार से भीतर की ग्रंथियों में जिस रस का संचार होता है उससे जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है । वीतरागता को प्राप्त करने की प्रबल भावना भीतर के राग द्वेष को खत्म कर देती है ।उन्होंने कहा कि कोई भिखारी या याचक अपने भोजन वस्त्र आदि के लिए भीख मांगता है । मजदूर या नोकर वेतन के लिए अपने मालिक के लिए काम करता है । यदि उनमें तरक्की तथा आगे बढ़ने की लगन हों तो वे भी अपने गुणों तथा योग्यता का विकास कर मालिक बनने का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं । अन्यथा याचना , नौकरी , मजदूरी में ही जीवन पूरा कर सकते हैं । इसी प्रकार व्यक्ति याचक बनकर जिन्दगी भर देवी देवताओं से अपने लिए नौकरी , व्यापार , धन वैभव मांगता रहता है । अपनी आत्मा को विकसित कर अपने आप में सद्गुणों का विकास कर अपने आध्यात्मिक विकास के लिए नहीं सोचता । जिस व्यक्ति की जैसी सोच होती है उसमें वैसे ही गुण अवगुण विकसित हो जाते हैं । दुर्गुणों को देखने सोचने से व्यक्ति में दुर्गुणों का विकास होता है तो सद्गुणों को देखने - सोचने से सगुणों का विकास होकर आध्यात्मिक ऊंचाईयों को प्राप्त किया जा सकता है ।धर्म सभा को उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि ने भी संबोधित किया । इस अवसर पर जैन महिला मंडल की राष्ट्रीय पदाधिकारी वीणा नाहर , खरवा सरपंच दिनेश पाल पदावत , जैन समाज. अजेन सहित गुजरात , कर्नाटक , नेपाल से आए श्रावक उपस्थित थे । छत्तीसगढ़ के परम गुरु भक्त श्रावक व अंहिसा प्रचारक महेश नाहटा ने खरवा के राजकीय विद्यालयों में छात्र छात्राओं को व्यसन मुक्ति की शपथ दिलाई । जीवन में दुर्गुणों को छोड़कर सद्गुणों को ग्रहण का आह्वान किया  उक्त जानकारी अखिल भारत वर्षीय साधु मार्गी जैन संघ ने दी।

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