नीमच। इस वर्ष 7 दिसंबर बुधवार को दत्त पूर्णिमा मनाई जा रही है। दत्त पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय पूर्णिमा या दत्ता पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है जो कि मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। इस पूर्णिमा पर जिन दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना की जाती है वो कोई और नहीं बल्कि त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार माने जाते हैं।पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि 07 दिसंबर बुधवार की सुबह 08:01 मिनट से 08 दिसंबर,गुरुवार की सुबह 09:38 तक रहेगी। भगवान दत्त की पूजा प्रदोष काल यानी शाम को की जाती है, इसलिए ये पर्व 7 दिसंबर को ही मनाया गया,इस दिन सर्वार्थसिद्धि और साध्य नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे,जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। भगवान दत्तात्रेय की जयंती को लेकर उपनगर नीमच सिटी में स्थित प्राचीन शिव शक्ति मठ के महंत गुरुदेव श्री भास्करानंद गिरी जी महाराज के सानिध्य में निरंतर परम्परानुसार इस वर्ष भी भगवान दत्तात्रेय की जयंती पर दो दिवसीय आयोजनो के साथ मनाई गई। इसी क्रम में प्रथम दिन 6 दिसंबर मंगलवार को देर शाम से मध्य रात्रि तक भजन संध्या का आयोजन किया गया।वही दूसरे दिन 7 दिसंबर बुधवार को प्रातःकाल में हवन, पूजन के बाद साधु संतो के निर्देशन में भगवान दत्तात्रेय की सुन्दर झांकी के साथ शोभायात्रा नीमच सिटी के प्रमुख मार्गो से निकाली गई।शिव शक्ति मठ के महंत गुरुदेव श्री भास्करानंद गिरी जी ने जानकारी देते हुवे बताया कि प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी नीमच सिटी स्थित श्री शिव शंकर मठ से साधु संतों के सानिध्य में भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई गई है इस वर्ष यह 26वा आयोजन है जिसको लेकर चल समारोह का आयोजन भी किया गया है चल समारोह में मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात के संत भी शामिल हुए हैं भगवान दत्तात्रेय जी का नगर भ्रमण के बाद महाआरती कर भक्तो के लिए भंडारे का आयोजन किया गया।इसके साथ ही दो दिवासिय आयोजनो का समापन किया गया।