रामकथा संस्कृति और संस्कारों का पोषण करती है -नन्दकिशोरदास जी
सिंगोली(निखिल रजनाती)। जहाँ रामकथा होती है वहाँ स्नेह दया और करुणा की वर्षा होती है।समुंदर का पानी खारा होता है लेकिन आकाश के सम्पर्क में आकर वर्षा जल के रूप में मीठा बन जाता है।इसी तरह सज्जनों और श्रेष्ठ लोगों की संगत में आकर हमारा चरित्र उच्च बन सकता है।रामकथा संस्कृति और संस्कारों का पोषण करती है।इसे हम भक्ति, कर्म और ज्ञान का संयोग भी कह सकते है।जिस प्रकार मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज होने पर उसे रिचार्ज करना पड़ता उसी तरह रामकथा भी हमारे जीवन को रिचार्ज करती है।यह बात मेंढकीमहादेव के संत नन्दकिशोरदास जी महाराज ने कही।वे मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरहद स्थित छतरियों के बालाजी (कदवासा चौराहा) पर समस्त क्षेत्रवासियों के तत्वाधान में आयोजित 9 दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा के तीसरे दिवस पर उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कथा के आगे कहा है कि रामकथा जीवन को मर्यादित ओर संस्कारित बनाती है।भगवान श्रीराम के चरित्र में कहीं भी दोष नहीं है इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम कहा गया।रामकथा भारत भूमि का आधार स्तंभ है।हमारे विवेक को सही दिशा में ले जाने ओर परिवार को सुखी एवं यशस्वी बनाने के लिए रामकथा का श्रवण सबसे श्रेष्ठ उपाय है।महाराज ने श्रीराम जन्मोत्सव के पूर्व शिव पार्वती के विवाह का विवरण व विवाह की मनमोहक झांकी से पूरा पंडाल भव्य नृत्य व भजनों की ध्वनि से गूंज उठा।श्रीराम कथा में दक्ष प्रजापति द्वारा किये गए यज्ञ में भगवान भोलेनाथ व सती पार्वती को आमंत्रित नहीं करने का विवरण विस्तार से भक्तों को श्रवण कराया गया।श्रीराम कथा में कथावाचक नन्दकिशोरदास जी महाराज ने लव जिहाद का नाम लिए बगैर श्रद्धा के साथ घटित घटना पर बड़ा अफसोस जाहिर करते हुए बताया कि माता पिता कितनी कठिनाई व दर्द को सहन कर आपकी हर फरमाइश को पूर्ण करते हैं।माता पिता कर्ज कर भी आपकी हर इच्छा का ख्याल करते और चिंता एक दो दिन या एक दो साल नहीं बल्कि 20 साल अपनी पेट की भूख प्यास काटकर आपको शिक्षित अपने पैरों पर खड़ा कर देते हैं लेकिन अफसोस श्रद्धा जैसी लड़की अपने चंद दिनों के प्रेम की भूख के पीछे अपने माता पिता व परिवार को छोड़कर माता पिता के नाम को कलंकित कर जाती है।याद रखना संसार में माता पिता की सेवा व उनकी आज्ञा के पालन से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता है।माता पिता के चरणों मे स्वर्ग होता है।श्रीराम कथा हमें जीवन को जीने की कला सिखाती है इसको सुनने मात्र से हमारे जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।