9 दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का समापन
सिंगोली(निखिल रजनाती)। सिंगोली तहसील के कदवासा चौराहा स्थित छतरिया बालाजी मैदान में आयोजित 9 दिवसीय श्रीराम कथा के समापन दिवस पर कथावाचक संत श्रीनन्दकिशोरदासजी महाराज ने कहा कि राम नाम अनमोल है, इससे पापी को भी सद्गगति मिल जाती है।रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है।मंगलवार को महाराज ने श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए कहा गया कि दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है।चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे।रामायण हमें आदर,सेवाभाव,त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है।उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों,वनवासियों,आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया इसलिए हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें क्योंकि यह राम कार्य है।श्री राम कथा के अंतिम दिन समापन अवसर पर संत नन्दकिशोर दास जी ने श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया और बताया कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता।अन्तत: अच्छाई और सत्य की जय होती है।अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा से ही होती आई है।श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में भक्तों द्वारा पुष्पों की वर्षा की गई।10 जनवरी मंगलवार को श्रीराम कथा के अंतिम दिन महाराज ने कथा में आगे बताया कि कथा श्रवण मात्र से राग-द्वेष,ईर्ष्या और भेदभाव स्वतः समाप्त हो जाते है।रामकथा मन को शांत कर हिंसक भावनाओं को रोकती है। उन्होंने रामनाम की महिमा बतलाते हुए कहा कि रामनाम अनमोल है। यदि पापी भी राम का नाम लेता है तो उसे सदगति मिल जाती है। भगवान का आगमन सदैव धर्म की रक्षा के लिए ही हुआ है।रामायण हमें समाज में संस्कार व अच्छे बुरे की पहचान करना सिखाती है। अंत में महाराज ने बताया कि सच्ची भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति की जा सकती है।